
जमशेदपुर। देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान एक्सएलआरआई (XLRI) जमशेदपुर में सोमवार को स्टार्टअप कॉन्क्लेव ‘इंजीनियम 6.0’ का सफल आयोजन किया गया। पीजीडीएम जनरल मैनेजमेंट बैच 2025-26 द्वारा आयोजित इस कॉन्क्लेव में देशभर से उद्यमी, उद्योग जगत के दिग्गज, शिक्षाविद् और छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया।कॉन्क्लेव का विषय था: “तेजी से बदलते तकनीकी और बाजार परिवेश में संस्थापक किस प्रकार दीर्घकालिक और उद्देश्यपूर्ण व्यवसाय खड़े कर सकते हैं।”
‘एंड्योरिंग बिजनेस’ की बदलती परिभाषा
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन समारोह से हुई, जिसमें एक्सएलआरआई के डीन एकेडमिक्स प्रो. संजय पात्रो, प्रो. सुनील सारंगी एवं प्रो. पूर्ण चंद्र पाधान ने हिस्सा लिया।उद्घाटन संबोधन में प्रो. संजय पात्रो और प्रो. पूर्ण चंद्र पाधान ने कहा कि आज “एंड्योरिंग बिजनेस” (दीर्घकालिक व्यवसाय) की परिभाषा तेजी से बदल रही है। उन्होंने जनसांख्यिकीय बदलाव, तकनीकी व्यवधान और ऑटोमोबाइल उद्योग में आईसीई (इंटरनल कम्बशन इंजन) से ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) जैसे बड़े परिवर्तनों को इस बदलाव का मुख्य चालक बताया।उन्होंने स्पष्ट किया कि बदलते मॉडल और बाजार के बीच भी संस्थापकों को ग्राहकों की गहरी समझ और दीर्घकालिक उद्देश्य से समझौता कभी नहीं करना चाहिए। ‘इंजीनियम 6.0’ के दौरान बताया गया कि एक्सएलआरआई केवल सफल कंपनियां नहीं, बल्कि जिम्मेदार, दूरदर्शी और मूल्य-आधारित नेतृत्व गढ़ने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
प्रमुख पैनल चर्चाएं
इस दौरान दो महत्वपूर्ण पैनल डिस्कशन का भी आयोजन किया गया:
- रणनीतिक लचीलापन: दृष्टि और व्यवहार्यता का संतुलन
यह सत्र श्रुति वानी द्वारा संचालित किया गया जिसमे पैनलिस्ट्स अल्बर्ट फर्नांडो (सीईओ, ट्रैवलविंग्स), वदीश बुद्रमाने (संस्थापक एवं सीईओ, एल्गोशैक), रवि शेखर (संस्थापक, टेरा एक्स), अमृतांशु एस. कुमार (संस्थापक, ट्रैकनर्ड) और पुष्कर वाडखालकर (बीडीओ एग्जीक्यूटिव सर्च)। मौजूद रहे। पैनलिस्ट्स ने कहा कि समय-समय पर रणनीति, उत्पाद और तकनीक बदल सकती हैं, लेकिन संस्थापक की मूल दृष्टि और मूल्य स्थिर रहने चाहिए। सत्र में प्रारंभिक टीम की भूमिका, सही निवेशकों का चयन, ग्राहक के करीब रहने, जेनएआई (जनरेटिव एआई), सास स्केलेबिलिटी, सस्टेनेबिलिटी और डेटा-आधारित लॉजिस्टिक्स जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा की गई।
- स्केलिंग विद सोल: संस्थापक की दुविधा
दूसरे पैनल का संचालन त्रिप्ती बांका ने किया जिसमे पैनलिस्ट्स आदित्य सिंह (टैपफिन), मोनालिशा ठाकुर (टम्मॉक), हिमाद्रि मजूमदार (टैलेंटरिक्रूट) और विकास आर जैन (एसीविस टेक्नोलॉजीज) मौजूद रहे। इस सत्र में व्यवसाय के मानव पक्ष, संवेदनशील नेतृत्व, सही बहाली, संस्कृति निर्माण और उद्देश्य से भटकाने वाले अवसरों को ‘ना’ कहने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। पैनलिस्ट्स ने बूटस्ट्रैपिंग बनाम फंडिंग, भरोसे पर आधारित उत्पाद और मूल्यों से समझौता किए बिना विकास पर अपने मूल्यवान अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम का समापन प्रो. सुनील सारंगी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। वक्ताओं को स्मृति-चिह्न भेंट किए गए। पूरे कार्यक्रम का कुशल संचालन युक्ता तिवारी और निखिल जैन ने किया।
