जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल: ‘कच्चा घड़ा’ फेम राहगीर ने अपनी जादुई आवाज़ से मोहा मन, पद्मश्री भज्जू श्याम ने कला के रहस्यों को साझा किया

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जमशेदपुर: लौहनगरी में आयोजित ‘जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल’ के मंच पर शुक्रवार को कला, संगीत और साहित्य का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण के रूप में सोशल मीडिया पर अपनी गायिकी से तहलका मचाने वाले राहगीर और विश्व प्रसिद्ध गोंड चित्रकार पद्मश्री भज्जू श्याम ने शिरकत की।

इंजीनियरिंग छोड़ संगीत की राह पर निकले राहगीर

स्कूलों और कोचिंगों में बेहद लोकप्रिय गाने ‘एक कच्चा घड़ा हूं मैं, फिर भी बारिश में खड़ा हूं मैं’ के गायक राहगीर (सीकर, राजस्थान) ने अपने जीवन के सफर को साझा किया। उन्होंने बताया नौकरी से गायिकी तक उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और कुछ समय तक नौकरी भी की, लेकिन अंततः गिटार और संगीत को अपना जीवन बना लिया। राहगीर ने बताया कि उनकी लोकप्रियता का सफर कोरोना काल में पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में बस के इंतजार के दौरान गाए गए एक गाने से शुरू हुआ, जो वायरल हो गया। वे दूसरी बार जमशेदपुर आए हैं। इससे पहले 2018 में रीगल कैफे में उन्होंने अपनी प्रस्तुति दी थी। उन्होंने कहा कि उनके गानों में जीवन की सच्चाई और संघर्ष की झलक हर उम्र के लोगों को पसंद आती है।

पद्मश्री भज्जू श्याम: कैनवास पर उकेरी पूर्वजों की कहानियां

पद्मश्री से सम्मानित भज्जू श्याम ने गोंड चित्रकला की बारीकियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उनकी कला केवल चित्र नहीं, बल्कि पूर्वजों की अनुभूतियों का प्रतिबिंब है।”मैं जब हवाई जहाज से यात्रा करता हूं, तो नीचे दिखने वाली धरती और बादलों के दृश्य को अपनी पारंपरिक गोंड कला में समाहित करने का प्रयास करता हूं। मेरी चित्रकला यह दर्शाती है कि हमारे पूर्वज क्या महसूस करते थे।”

समकालीन परिदृश्य को समेटती कहानियाँ: डॉ. दामोदर विष्णु

पुणे से आए प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. दामोदर विष्णु ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि साहित्यकार का धर्म शब्दों को भाषा में पिरोकर समाज को आईना दिखाना है। उनके कहानी संग्रहों में आज के दौर की वास्तविकता और समकालीन परिदृश्य स्पष्ट रूप से देखने को मिलते हैं।

कलाकारों का अनूठा अनुभव

फेस्टिवल में राहगीर ने एक गहरी बात कही कि “इंसान एक ही होता है, लेकिन समय के हिसाब से उसकी पसंद बदलती रहती है।” वहीं, भज्जू श्याम ने बताया कि शुरू में राहगीर के परिवार को उनके भविष्य की चिंता थी, लेकिन आज उनकी सफलता पर पूरा गांव और परिवार गर्व महसूस करता है।जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल का यह सत्र शहरवासियों के लिए न केवल मनोरंजन, बल्कि प्रेरणा का भी केंद्र रहा।

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