घाटशिला उपचुनाव: आजसू का हेमंत सरकार पर बड़ा हमला, ‘सत्ताधारी दल को वोट मांगने का नैतिक अधिकार नहीं’ – संजय मेहता

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घाटशिला/जमशेदपुर।आगामी घाटशिला विधानसभा उपचुनाव को लेकर आजसू पार्टी ने सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके सहयोगी दलों पर तीखा हमला बोला है। एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव संजय मेहता ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है और उसने जनता के साथ वादाखिलाफी की है।संजय मेहता ने दावा किया कि विफलताओं के कारण सत्ताधारी दल के पास घाटशिला चुनाव में वोट मांगने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

सरकार से पूछे गए तीखे सवाल

संजय मेहता ने सरकार को घेरते हुए कई मूलभूत मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा जिसके मुख्य रूप से हाईकोर्ट से फटकार के बाद ही नगर निकाय चुनाव को लेकर सरकार की नींद क्यों खुली? 5 लाख नौकरी के वादे का क्या हुआ? सरकार बेरोजगारी भत्ता कब देगी और नई नियोजन नीति कब लाएगी?’मैया योजना’ के नाम पर लूट-खसोट कब तक चलेगी?सरकार स्थानीय नीति कब लागू करेगी? शिक्षकों के खाली पड़े लगभग 26 हजार पदों और राज्य के अन्य खाली पड़े सरकारी पदों पर नियुक्ति क्यों नहीं कर रही है?संजय मेहता ने कहा कि इन सभी विषयों पर सरकार “निकम्मा साबित हुई है।” उन्होंने घाटशिला की जनता से अपील की कि वे सत्ताधारी लोगों से सवाल करें, अपने विवेक से मतदान करें और एनडीए प्रत्याशी बाबूलाल के जीत के आंकड़े को बढ़ाने का कार्य करें।

सत्ताधारी दल पर अराजकता फैलाने का आरोप

संजय मेहता ने अपने बयान में एक क्षेत्रीय राजनीतिक समूह जेएलकेएम को “झारखंड लूट खसोट पार्टी” बताते हुए उन पर और सत्ताधारी दल पर गंभीर आरोप लगाए।उन्होंने दावा किया कि सत्ताधारी दल के मुखिया ने जेएलकेएम को ‘सरकारी दमाद’ बनाकर राज्य में अराजकता पैदा करने की खुली छूट दे रखी है।”मैं दावे के साथ कहना चाहता हूँ कि जिस व्यक्ति पर लगभग 16 गंभीर आपराधिक मामले (जमीन कब्जाने का, दंगा फैलाने का, अराजकता फैलाने का, रंगदारी मांगने का, जातीय उन्माद फैलाने का) विभिन्न थानों में दर्ज हैं, उन पर सत्ताधारी दल के मुखिया कानून का डंडा क्यों नहीं चलाते हैं? बल्कि उन्हें सरकारी दामाद बनाकर पूरे राज्य में भ्रमण कराते हैं।”मेहता ने आरोप लगाया कि ये लोग जिस क्षेत्र में जाते हैं, वहां जमीन कब्जा करने, मारपीट करने और मुकदमा कर क्षेत्र को अशांत करने का कार्य शुरू कर देते हैं। उन्होंने जनता से ऐसे “बहुरूपिया” को पहचान करने का आग्रह किया, जिनका कार्य सिर्फ एनडीए प्रत्याशी को परेशान करना और भोली-भाली जनता को दिग्भ्रमित करना है।

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