
धनबाद।वासेपुर की गलियों में एक बार फिर वही नाम गूंज रहा है — फहीम खान। वही शख्स, जिसने कभी वासेपुर को अपराध की राजधानी बना दिया था और जिसके जीवन से प्रेरित होकर अनुराग कश्यप ने बनाई थी हिंदी सिनेमा की मशहूर फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ अब 22 साल बाद, यह कुख्यात चेहरा फिर से आज़ाद हवा में सांस लेने जा रहा है।झारखंड हाईकोर्ट ने शनिवार को फहीम खान की रिहाई का आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी ने फहीम की उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि छह सप्ताह के भीतर उसकी जेल से रिहाई सुनिश्चित की जाए।
अदालत में 22 साल की कैद और बीमारी का हवाला
फहीम खान ने 29 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिट पीटिशन दायर कर रिमिशन (सजा में छूट) की मांग की थी।उनके अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा ने अदालत को बताया कि फहीम की उम्र अब 75 वर्ष से अधिक हो चुकी है और वह दिल व गुर्दे की गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं।सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने दलील दी कि अवकाश के दिनों को छोड़ भी दिया जाए तो फहीम खान 22 वर्षों से अधिक समय से जेल में बंद हैं। अदालत ने दलीलों को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को रिहाई का आदेश दिया।
रिव्यू बोर्ड ने पहले किया था इनकार
इससे पहले राज्य सरकार द्वारा गठित रिव्यू बोर्ड ने फहीम खान की रिहाई से इनकार किया था, यह कहते हुए कि वह समाज के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।हालांकि हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि फहीम की बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए मानवीय आधार पर राहत दी जा सकती है।
कौन है फहीम खान?
फहीम खान वासेपुर का वही नाम है जिसने 80–90 के दशक में धनबाद के कोयला कारोबार और ठेकेदारी जगत में आतंक का पर्याय बना दिया था।उन पर तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं — जिनमें हत्या, रंगदारी, और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप शामिल हैं।1989 में वासेपुर के ही निवासी सगीर हसन सिद्दीकी की हत्या के मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।वे फिलहाल जमशेदपुर के घाघीडीह केंद्रीय कारागार में सजा काट रहे थे।
दर्ज प्रमुख मामले
सगीर हसन सिद्दीकी हत्या कांड (1989) रेलवे ठेकेदार इरफान खान की हत्या, धीरेंद्र प्रताप सिंह की हत्या,ठेकेदार संजय सिंह पर गोलीबारी,साबिर आलम की हत्या की कोशिश इन मामलों ने वासेपुर और आसपास के इलाके में फहीम खान के नाम को डर और हिंसा से जोड़ दिया था।
फिल्मी किरदार से वास्तविकता तक
अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) के किरदार ‘फैज़ल खान’, जिसे अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने निभाया था, फहीम खान के जीवन और घटनाओं से प्रेरित बताया जाता है।फिल्म में बोला गया डायलॉग — “बाप का, दादा का, भाई का, सबका बदला लेगा तेरा फैज़ल”— आज भी लोगों की ज़ुबान पर है।
वासेपुर में जश्न का माहौल
झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद वासेपुर के खान हाउस और आसपास के इलाकों में खुशी का माहौल देखा गया।स्थानीय लोग मिठाइयाँ बाँटते और एक-दूसरे को बधाई देते नज़र आए। हालांकि प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने इलाके में सतर्कता बढ़ा दी है ताकि किसी तरह की अप्रिय स्थिति न बने।
