
जमशेदपुर:शहर के सबसे बड़े सरकारी स्वास्थ्य केंद्र एमजीएम अस्पताल में सोमवार को लापरवाही की बेहद शर्मनाक और अमानवीय तस्वीर सामने आई। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में दो मृत शरीर घंटों तक पड़े रहे, जबकि उसी वार्ड में भर्ती अन्य जिंदा मरीजों का इलाज बिना किसी रोक-टोक के जारी था। इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर मरीजों के परिजन और अन्य मरीज भय और घृणा से भर उठे।
कई घंटों तक शवों को नहीं भेजा गया मॉर्चरी
बताया गया कि दोनों शवों को सुबह के समय इमरजेंसी वार्ड लाया गया था, जहां डॉक्टरी जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। मृत्यु की पुष्टि होने के बावजूद, अस्पताल प्रशासन ने कई घंटों तक शवों को नियमानुसार मॉर्चरी (शवगृह) भेजने की प्रक्रिया पूरी नहीं की। इमरजेंसी वार्ड के कर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच आपसी समन्वय की कमी स्पष्ट रूप से दिखाई दी, जिसके कारण शवों को हटाने में यह देरी हुई।मृत शरीरों के बगल में इलाज होते देख मरीजों और उनके परिजनों को भारी मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा।
विधायक प्रतिनिधि ने मौके पर पहुंचकर जताई कड़ी नाराजगी
इस पूरे घटनाक्रम की सूचना किसी ने विधायक प्रतिनिधि को दी। सूचना मिलते ही वे तत्काल मौके पर पहुंचे और अस्पताल की व्यवस्था पर गंभीर नाराजगी जताते हुए जमकर हंगामा किया।उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि यह स्थिति बेहद शर्मनाक है—”जहां एक ओर मरीज अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं उनके बगल में मृत शरीर रखे हैं।”
अमानवीय कृत्य पर फटकार
विधायक प्रतिनिधि ने मौके पर मौजूद अस्पताल प्रबंधन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि विधायक प्रतिनिधि”एमजीएम अस्पताल जैसे बड़े संस्थान में ऐसी संवेदनहीन लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इमरजेंसी वार्ड में शवों का इस तरह पड़ा रहना न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि यह प्रशासन की संवेदनहीनता को भी दर्शाता है।”उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और कर्मचारियों से तत्काल जवाब मांगा और शवों को तुरंत मॉर्चरी शिफ्ट कराने का आदेश दिया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने आनन-फानन में दोनों शवों को इमरजेंसी वार्ड से हटाकर मॉर्चरी भेजा।
अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर एमजीएम अस्पताल की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मरीजों के परिजनों ने कहा कि इमरजेंसी वार्ड में हर दिन भारी भीड़ रहती है, लेकिन स्टाफ की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण मरीजों के इलाज और सुविधाओं के मामले में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।
