
गालूडीह। बाघुडिया पंचायत के केसरपुर गांव की मुख्य सड़क आज भी बदहाली की मार झेल रही है। आज़ादी के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव को पीसीसी सड़क या कालीकरण सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है। अब तक मनरेगा के तहत केवल मिट्टी–मुरूम से बनी अस्थायी सड़क ही गांववालों का सहारा बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में यह रास्ता पूरी तरह कीचड़ में बदल जाता है और आवागमन पूरी तरह ठप पड़ जाता है।
सामूहिक शिकायतों के बावजूद नहीं हुई पहल
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार पंचायत प्रतिनिधियों,मुखिया,जिला प्रशासन और पूर्व जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार लगाई,लेकिन किसी ने भी सड़क निर्माण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।ग्रामीणों का कहना है कि अब वे चुनावी वादों पर भरोसा खो चुके हैं और नेताओं के प्रति भारी रोष व्यक्त कर रहे हैं।
नवनिर्वाचित विधायक सोमेश चंद्र सोरेन से बंधी उम्मीदें
हाल ही में निर्वाचित हुए विधायक सोमेश चंद्र सोरेन से गांववालों की नई उम्मीदें जुड़ी हैं।लोगों का कहना है कि –“हमारी समस्या वर्षों पुरानी है। हम आशा करते हैं कि नए विधायक हमारी आवाज सुनेंगे और सड़क निर्माण को प्राथमिकता देंगे।”
मात्र डेढ़ किलोमीटर की सड़क बनी बड़ी परेशानी
ग्रामीणों ने बताया कि केसरपुर की मुख्य समस्या यह है कि मुख्य सड़क से गांव तक का 1.5 किलोमीटर का मार्ग पूरी तरह मिट्टी का है।बरसात में यह सड़क दलदल बन जाती है।कई जगह पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है।किसी के बीमार पड़ने पर गाड़ी गांव के अंदर नहीं आ पाती।ऐसे में मरीज को कंधे पर उठाकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है।
पोस्ट ऑफिस पहुंचना भी मुश्किल
गांव में स्थित डाकघर (पोस्ट ऑफिस) तक भी इसी सड़क से जाना पड़ता है।बरसात के मौसम में डाकघर तक पहुंचना ग्रामीणों के लिए बेहद कठिन हो जाता है।डाक वितरण कार्य भी प्रभावित होता है।
पानी की किल्लत ने बढ़ाई मुसीबत
सड़क के अलावा गांव में पानी की भारी समस्या है।ग्रामीणों के अनुसार –“हर दिन पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। कई जगह हैंडपंप भी खराब पड़े हैं।”
सड़क पर खड़े होकर विरोध जताया ग्रामीणों ने
सड़क की दयनीय स्थिति के विरोध में ग्रामीणों ने मुख्य मार्ग पर खड़े होकर प्रदर्शन किया और प्रशासन से मांग की कि तत्काल सड़क का सर्वे हो पीसीसी या कालीकरण सड़क का निर्माण जल्द शुरू किया जाए।स्थानीय निवासियों सोनाराम हेंब्रम, समूह हेम्ब्रम, रघुनाथ हेंब्रम, टीपू सोरेन सहित कई लोगों ने कहा कि अब गांव विकास चाहता है, आश्वासन नहीं।
