
जमशेदपुर:चतुर्थ बाल मेला कला, संस्कृति और प्रतिभा का संगम बन चुका है। इसी कड़ी में गुरुवार को मेले में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब युवा और प्रतिभाशाली चित्रकार पैक्स सोय मुर्मू ने टाटा स्टील में कार्यरत कुमारी खुशी का लाइव स्केच बनाया। यह स्केच इतना सटीक और जीवंत था कि उसे देखने वाले हर दर्शक के मुंह से एक ही शब्द निकला— “वाह!”
बिना ओवरलैपिंग, बिना करेक्शन—सटीकता की मिसाल बना पैक्स का स्केच
खुशी सामने कुर्सी पर शांत मुद्रा में बैठी थीं और ठीक उसी मुद्रा और भाव को पैक्स ने हू-ब-हू कागज पर उतार दिया।पैक्स की उँगलियों की तेजी, स्ट्रोक्स की साफ-सुथरी लाइनें और काले रंग का बैलेंस—सब कुछ इतना परफेक्ट था कि स्केच किसी प्रोफेशनल स्टूडियो पोट्रेट जैसा लग रहा था।स्केच को दो लेयर में तैयार किया गया—पहला आवरण पूरी तरह श्याम-श्वेत और दूसरा लेयर खूबसूरती से जोड़े गए रंगों के साथ।खुशी कई घंटे लगातार बैठी रहीं, और जैसे ही अंतिम स्केच सामने आया, वे उत्साहित होकर कह उठीं—“वाह!”
चित्रकारों का जमावड़ा, दीपांकर कर्मकार बने समन्वयक
बाल मेले में विभिन्न क्षेत्रों से आए कई चित्रकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे थे।इन सभी कलाकारों का समन्वयन कर रहे थे रांची के प्रसिद्ध चित्रकार एवं शिल्पकार दीपांकर कर्मकार।दीपांकर वही कलाकार हैं जिन्होंने बुधवार को राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार का हाथ से बना पोट्रैट उन्हें भेंट किया था। राज्यपाल उस पोट्रैट से इतने प्रभावित हुए कि उसे अपने साथ ले गए।गुरुवार को मेले में प्रसिद्ध चित्रकार मुक्ता गुप्ता भी उपस्थित रहीं।उन्होंने इसी माह चार दिन की राष्ट्रीय चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया था, जिसमें देशभर के 25 नामी कलाकारों ने भाग लिया था।
बाल मेला बना कला का उत्सव
मेले में कला प्रेमियों की भीड़ लगातार बढ़ रही है।लाइव स्केचिंग, पेंटिंग, बच्चों की कला प्रतियोगिताएँ—हर गतिविधि मेले को रचनात्मक ऊर्जा से भर दे रही है।खुशी का स्केच इस मेले की प्रमुख आकर्षणों में से एक बन गया है और पैक्स सोय मुर्मू की कला ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।
