
पोटका।स्वतंत्रता के 78 वर्ष बाद भी झारखंड के कई ग्रामीण इलाके आज भी विकास की मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड के नारदा पंचायत का चिरूगौड़ा–कोरोर कोचा मार्ग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहाँ आज तक एक किलोमीटर पक्की सड़क भी नहीं बन सकी है।
बरसात में दलदल बन जाता है रास्ता, आम लोगों की जिंदगी होती है बेहाल
ग्रामीणों के अनुसार, बरसात शुरू होते ही यह कच्चा रास्ता कीचड़ और दलदल में बदल जाता है। स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि पैदल चलना भी जोखिम भरा हो जाता है।स्कूल जाने वाले बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएँ और बीमार लोगों के लिए यह रास्ता किसी आपदा से कम नहीं।ग्रामीण बताते हैं कि बरसात में घुटने तक कीचड़ हो जाता है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। बीमार पड़ जाएँ तो डॉक्टर तक पहुँचना भगवान भरोसे होता है।
एम्बुलेंस पहुंचना नामुमकिन, मरीजों को उठाकर ले जाना पड़ता है
सड़क की जर्जर स्थिति की वजह से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुँच पाती।बरसात में कीचड़ भरे रास्ते से मरीजों को चारपाई पर उठाकर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है। कई बार यह देरी जानलेवा साबित हो चुकी है।
स्कूल जाने में बाधा, रोजमर्रा की जरूरतें भी पहुंचना मुश्किल
सड़क की बदहाली से बच्चों की शिक्षा पर भी गहरा असर पड़ रहा है।कई बार लगातार बारिश के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।दूसरी तरफ, ग्रामीणों को राशन, गैस सिलेंडर, सब्जी और दवाइयाँ लाने में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।इस मार्ग का उपयोग आसपास के कई गाँव करते हैं, जिनमें अधिकतर सबर और अन्य आदिवासी समुदाय के परिवार शामिल हैं।
ग्रामीणों ने कई बार किया आवेदन, पर सड़क निर्माण सिर्फ कागज़ों में
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पंचायत, प्रखंड और जिला प्रशासन तक कई बार समस्या रखी, परंतु सड़क निर्माण का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।ग्रामीणों के अनुसार सिर्फ़ आश्वासन मिलता है, लेकिन सड़क आज भी कागज़ों से बाहर नहीं निकल पा रही।
सड़क विकास की पहली सीढ़ी, ग्रामीणों ने की तत्काल निर्माण की मांग
स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि सड़क सिर्फ आवागमन का साधन नहीं बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास की पहली नींव है।उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से अपील की है कि—चिरूगौड़ा–कोरोर कोचा रोड को जल्द से जल्द पक्की सड़क में बदला जाए। वर्षों से चली आ रही समस्या का स्थायी समाधान किया जाए ।आदिवासी एवं वंचित समुदायों के जीवन में सुधार के लिए यह कार्य प्राथमिकता पर किया जाए।
