उड़ीसा के एम.वी.-26 गांव में बांग्लाभाषी विस्थापितों पर हमले का विरोध, जमशेदपुर में राष्ट्रपति को सौंपा गया ज्ञापन

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जमशेदपुर। उड़ीसा राज्य के एम.वी.-26 गांव में बांग्ला भाषी उद्वासित (विस्थापित) परिवारों पर हुए हिंसक हमले और मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीर घटनाओं के विरोध में आज जमशेदपुर में गहरा आक्रोश व्यक्त किया गया। इस घटना के विरोध और पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर, मुक्त मंच एवं झारखंड बांधव समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने एकजुट होकर उच्चाधिकारियों को स्मार पत्र सौंपा।प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के नाम एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें पीड़ित परिवारों की तत्काल सुरक्षा और न्याय की मांग की गई है।

प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख मांगें

ज्ञापन में मुख्य रूप से निम्नलिखित मांगों पर जोर दिया गया जिसमे मुख्य रूप से उड़ीसा के एम.वी.-26 गांव में हुए हिंसक हमलों की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए। बांग्ला भाषी उद्वासित/विस्थापित परिवारों को तत्काल सुरक्षा, पुनर्वास और पर्याप्त मुआवज़ा प्रदान किया जाए।इस घटना में लिप्त लोगों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। भाषाई अल्पसंख्यकों को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।

‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना के खिलाफ

प्रतिनिधिमंडल ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह केवल पीड़ित परिवारों के प्रति हमारा नैतिक दायित्व नहीं है, बल्कि पूरे देश में भाषाई अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, मानवाधिकार और भारतीय संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता का भी सवाल है।उन्होंने कहा कि, “आज जब देश ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तब किसी भी राज्य में भाषा, क्षेत्र या जातीय पहचान के आधार पर हिंसा या भेदभाव भारतीय संविधान की भावना के खिलाफ है।”प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रशासन से भी आग्रह किया कि इस मामले को तत्काल उच्च स्तर पर संज्ञान में लिया जाए और पीड़ित परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। नेताओं ने स्पष्ट किया कि “हम न्याय, मानवता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हैं। मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”

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