
जमशेदपुर। शनिवार को औद्योगिक नगरी जमशेदपुर साहित्य, कला और विचारों के राष्ट्रीय महाकुंभ की साक्षी बनी। शहर में पहली बार राष्ट्रीय स्तर के इतने बड़े साहित्य महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से नामचीन लेखक, पत्रकार, कलाकार, प्रशासक, विचारक और पद्मश्री से सम्मानित हस्तियों ने शिरकत की। इस ऐतिहासिक आयोजन ने जमशेदपुर को देश के साहित्यिक मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाई।बिष्टूपुर स्थित एक प्रतिष्ठित होटल में आयोजित जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल का वातावरण साहित्यिक संवाद, रचनात्मक ऊर्जा और विचार-विमर्श से सराबोर रहा। दो दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में साहित्य, सिनेमा, पत्रकारिता, लोक संस्कृति और समकालीन सामाजिक मुद्दों पर गहन चर्चा की जा रही है।
प्रख्यात हस्तियों ने किया संयुक्त उद्घाटन
महोत्सव का विधिवत उद्घाटन प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार सोपान जोशी, प्रख्यात चित्रकार मनीष पुष्कले, दिल्ली विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ. रंजन त्रिपाठी, लोकप्रिय अभिनेता राजेश जैस और फिल्म निर्देशक अभिषेक चौबे ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया।उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने साहित्य और कला की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल रचनात्मकता को मंच प्रदान करते हैं, बल्कि समाज को सोचने और संवाद करने की नई दिशा भी देते हैं।
सादरी भाषा में संबोधन बना आकर्षण
उद्घाटन समारोह का विशेष आकर्षण अभिनेता राजेश जैस का संबोधन रहा। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत सादरी भाषा में कर श्रोताओं का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा मैं कई फ़िल्म फेस्टिवल्स में जाता हूं, लेकिन वहां अक्सर झारखंड का प्रतिनिधित्व देखने को नहीं मिलता। इसलिए मैं जहां भी जाता हूं, झारखंड की पहचान को साथ लेकर चलता हूं और सादरी गीतों के माध्यम से अपनी मिट्टी का प्रतिनिधित्व करता हूं।उनकी इस पहल को उपस्थित साहित्यकारों और कला प्रेमियों ने तालियों के साथ सराहा।
साहित्य और संस्कृति को सहेजने का संदेश
महोत्सव में शामिल वक्ताओं ने कहा कि साहित्य केवल शब्दों का संसार नहीं, बल्कि समाज का दर्पण है। इसे सहेजना और नई पीढ़ी तक पहुंचाना समय की जरूरत है। जमशेदपुर जैसे औद्योगिक शहर में इस तरह के साहित्यिक आयोजन से संस्कृति और विचारों के आदान-प्रदान को नई गति मिलेगी।
दो दिनों तक चलेगा साहित्यिक संवाद
जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान साहित्य, पत्रकारिता और सिनेमा पर सत्र,कला और लोक संस्कृति पर परिचर्चाएं,लेखकों और पाठकों के बीच संवाद,समकालीन सामाजिक विषयों पर विमर्श जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
जमशेदपुर को मिली नई पहचान
आयोजकों और प्रतिभागियों का मानना है कि यह महोत्सव जमशेदपुर को केवल औद्योगिक शहर ही नहीं, बल्कि साहित्य और संस्कृति के केंद्र के रूप में भी स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
