
जमशेदपुर। शहर की प्रतिष्ठित केबल कंपनी (इंका केबल्स) के मालिकाना हक को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई अब देश की शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) की दहलीज पर पहुंचने वाली है। एनसीएलएटी द्वारा वेदांता कंपनी के पक्ष में सुनाए गए फैसले के विरोध में ‘केबल कंपनी संघर्ष समिति’ ने मोर्चा खोल दिया है। समिति ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी कीमत पर वेदांता को कंपनी का हैंडओवर नहीं लेने देंगे।
क्या है एनसीएलएटी का हालिया फैसला?
बीते 3 जनवरी 2025 को एनसीएलएटी ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें वेदांता कंपनी को केबल कंपनी का हैंडओवर लेने की अनुमति दी गई है। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि वेदांता 90 दिनों के भीतर हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी कर इसकी सूचना अदालत को दे। हालांकि, इसी फैसले में विरोध पक्ष (संघर्ष समिति) को 45 दिनों की अपील अवधि भी दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी संघर्ष समिति
प्रेस वार्ता के दौरान केबल कंपनी मजदूर समिति के अधिवक्ता अखिलेश कुमार चौधरी ने एनसीएलएटी के इस फैसले को अवैध और एकतरफा करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि वेदांता ने वित्तीय हेराफेरी के माध्यम से यह फैसला अपने पक्ष में करवाया है।अधिवक्ता अखिलेश कुमार चौधरी ने प्रेस वार्ता में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातें कहीं, उन्होंने बताया की समिति अगले 45 दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर एनसीएलएटी के फैसले को चुनौती देगी। संघर्ष समिति का मुख्य उद्देश्य मजदूरों के 21 करोड़ 63 लाख रुपये के बकाया वेतन और अन्य देय राशि का भुगतान सुनिश्चित करना है। वकील ने स्पष्ट कहा कि कुछ ऐसे तकनीकी और विशेष बिंदु हैं जिन्हें आधार बनाकर अपील की जाएगी ताकि वेदांता कंपनी को हैंडओवर लेने से रोका जा सके।
मजदूरों के बीच आक्रोश और उम्मीद
पिछले कई वर्षों से केबल कंपनी के भविष्य और अपने बकाये को लेकर संघर्ष कर रहे मजदूरों के लिए यह निर्णायक घड़ी है। संघर्ष समिति का मानना है कि यदि वेदांता बिना मजदूरों के बकाये का भुगतान किए कंपनी का नियंत्रण हासिल कर लेती है, तो सैकड़ों परिवारों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।
आगे की राह
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। यदि संघर्ष समिति निर्धारित 45 दिनों के भीतर प्रभावी अपील दर्ज करती है, तो एनसीएलएटी के फैसले पर स्टे (रोक) लगने की संभावना बढ़ जाएगी।
“हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक हर एक मजदूर का पसीना और उसकी मेहनत का पैसा (21.63 करोड़) उसे मिल नहीं जाता। वेदांता को एकतरफा कब्जा नहीं करने दिया जाएगा।” — अखिलेश कुमार चौधरी, अधिवक्ता
