करनडीह: ओलचिकी शताब्दी समारोह का भव्य आगाज, पद्मश्री डॉ. दमयंती बेसरा ने किया साहित्य सम्मेलन और पुस्तक मेले का उद्घाटन

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जमशेदपुर: करनडीह स्थित जाहेरथान के पवित्र प्रांगण में शनिवार को ओलचिकी लिपि के शताब्दी समारोह का अत्यंत भव्य और गरिमामयी शुभारंभ हुआ। तीन दिवसीय इस उत्सव के पहले दिन साहित्य सम्मेलन, आदिवासी पुस्तक मेला, कवि सम्मेलन और सेंदरा गीतों पर विचार-मंथन के साथ उत्सव की शुरुआत की गई। यह पूरा आयोजन ओलचिकी लिपि के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किया जा रहा है, जिसका समापन 29 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में होगा।

पद्मश्री डॉ. दमयंती बेसरा ने किया उद्घाटन

समारोह का विधिवत उद्घाटन ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन की सलाहकार और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. दमयंती बेसरा एवं एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण किस्कू ने संयुक्त रूप से किया। उद्घाटन सत्र में संताली भाषा और साहित्य के संरक्षण पर जोर देते हुए डॉ. बेसरा ने कहा कि ओलचिकी लिपि हमारी पहचान है और इसके 100 वर्ष पूरे होना पूरे समाज के लिए गौरव का विषय है।

साहित्य, संस्कृति और गीतों का संगम

शनिवार का दिन पूरी तरह से साहित्यिक और सांस्कृतिक सत्रों के नाम रहा। यहाँ संताली और अन्य आदिवासी भाषाओं की दुर्लभ पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई है, जो पाठकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही। पारंपरिक शिकार गीत ‘सेंदरा’ और ‘सोहराय’ गीतों के महत्व और उनके साहित्य पर गहन चर्चा की गई। वक्ताओं ने बताया कि ये गीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारी जीवन पद्धति के दस्तावेज हैं। विभिन्न क्षेत्रों से आए संताली कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भाषा और समाज के विविध रंगों को प्रस्तुत किया।

रमेश हांसदा ने भेंट की अपनी पुस्तक

इस खास अवसर पर भाजपा नेता और साहित्य प्रेमी रमेश हांसदा ने अपनी लिखित पुस्तक पद्मश्री डॉ. दमयंती बेसरा को भेंट की। डॉ. बेसरा ने लेखक के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि नई पीढ़ी का साहित्य की ओर झुकाव सुखद संदेश है।

राष्ट्रपति के आगमन की तैयारी, 29 को समापन

यह शताब्दी समारोह 29 दिसंबर तक चलेगा। आयोजन समिति ने बताया कि रविवार (29 दिसंबर) को होने वाले समापन समारोह में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगी। राष्ट्रपति के आगमन को लेकर जाहेरथान परिसर को दुल्हन की तरह सजाया गया है और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

समाज में भारी उत्साह

समारोह के पहले दिन ही करनडीह में भारी भीड़ उमड़ी। स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के साथ-साथ स्थानीय समितियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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