चाईबासा: बाल-संवेदनशील पुलिसिंग की ओर कदम, एसपी अमित रेनू ने दिया थानों को ‘बाल मित्र’ बनाने का निर्देश

Spread the love

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिले में पुलिसिंग को और अधिक मानवीय और संवेदनशील बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल की गई है। पुलिस अधीक्षक अमित रेनू ने जिले के सभी थानों में ‘बाल मित्र थाना’ के निर्माण और प्रभावी संचालन का निर्देश दिया है। उन्होंने सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों को इस दिशा में हुई प्रगति की रिपोर्ट तीन दिनों के भीतर साझा करने को कहा है।यह निर्देश उन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित “बाल-संवेदनशील पुलिसिंग: बाल मनोविज्ञान और संचार” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान दिया।

सात चरणों में सशक्त होगी पुलिस: यूनिसेफ और NUSRL का सहयोग

एसपी अमित रेनू ने बताया कि विशेष किशोर पुलिस इकाइयों को सशक्त बनाने के लिए यूनिसेफ, सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ , रांची के तकनीकी सहयोग से सात चरणों में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। शनिवार को आयोजित कार्यशाला इस श्रृंखला का दूसरा चरण था, जिसमें जिले के विभिन्न थानों से आए 26 बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

विशेषज्ञों ने सिखाए बाल मनोविज्ञान के गुर

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने पुलिस अधिकारियों को बच्चों के साथ व्यवहार करने के वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक तरीके समझाए।डॉ. राजीव कुमार (विशेषज्ञ, रांची) ने बताया की बाल मनोविज्ञान, बच्चों के विकास के चरणों और विधि से संघर्षरत बच्चों ( की भावनात्मक जरूरतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने केस स्टडी और ‘रोल-प्ले’ के माध्यम से पुलिस को सिखाया कि संकट में फंसे बच्चों के साथ संचार कैसे किया जाए।अनिरुद्ध सरकार (CCR, NUSRL) ने उन्होंने स्वागत भाषण दिया और ‘फोस्टर केयर’ (पालक देखभाल) एवं उसके बाद की देखभाल योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी।नरेंद्र शर्मा ने समूह चर्चा के माध्यम से केस स्टडी आधारित अभ्यास कराया और आगामी रणनीति पर पुलिस अधिकारियों की क्षमता का आकलन किया।

इन गंभीर मुद्दों पर हुई केस स्टडी

कार्यशाला के दौरान पुलिस अधिकारियों को केवल सैद्धांतिक जानकारी ही नहीं दी गई, बल्कि व्यावहारिक अभ्यास भी कराए गए। मुख्य रूप से बाल विवाह के मामलों को रोकना और निपटना।लैंगिक शोषण (POCSO) से जुड़े मामलों में संवेदनशीलता। विधि से संघर्षरत बच्चों के साथ पुलिस का व्यवहार।

समन्वय से बढ़ेगी सुरक्षा

कार्यक्रम में बाल कल्याण समिति के मोहम्मद शमीम और पीसीआई इंडिया के सलाहकार हिंमाशु जेना भी उपस्थित रहे। उन्होंने पुलिस और अन्य नागरिक निकायों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। अंत में, SJPU नोडल अधिकारी (चाईबासा) ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि बच्चों के संरक्षण के क्षेत्र में पुलिस की भूमिका को सशक्त करना ही इस प्रशिक्षण का अंतिम लक्ष्य है।

क्या है ‘बाल मित्र थाना’?

बाल मित्र थाना का उद्देश्य पुलिस स्टेशन के भीतर एक ऐसा वातावरण तैयार करना है जहाँ बच्चा डरे नहीं। इसमें बच्चों के लिए अलग कमरे, रंग-बिरंगी दीवारें, खिलौने और सादे लिबास में पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी सुनिश्चित की जाती है, ताकि बच्चा अपनी बात बिना किसी दबाव के कह सके।

More From Author

करनडीह: ओलचिकी शताब्दी समारोह का भव्य आगाज, पद्मश्री डॉ. दमयंती बेसरा ने किया साहित्य सम्मेलन और पुस्तक मेले का उद्घाटन

एनआईटी जमशेदपुर का बड़ा आविष्कार: चिमनी से निकलेगी सिर्फ भाप, ‘जीरो कार्बन’ तकनीक से बदलेगी बिजली संयंत्रों की तस्वीर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Recent Comments

No comments to show.