
जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन ने एक गंभीर चिकित्सा आपातकाल पर संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल कार्रवाई की है। यह मामला तब सामने आया जब स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता दीपक रंजीत ने सोशल मीडिया के माध्यम से एक महिला श्रीजीना बीबी की दयनीय स्थिति के बारे में जानकारी दी, जिनका गला बुरी तरह से कटा हुआ है और जिन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता है।
दुर्भाग्यपूर्ण घटना और अधूरी चिकित्सा
जानकारी के अनुसार, श्रीजीना बीबी अपनी ससुराल में हुई एक घटना के बाद गंभीर रूप से घायल हो गईं। उन्हें शुरुआती इलाज के लिए राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) ले जाया गया, लेकिन किन्हीं अज्ञात कारणों से उनका इलाज अधूरा छोड़ दिया गया। वर्तमान में, वह अपने मायके बोड़ाम में हैं और उनकी हालत बेहद नाजुक बनी हुई है।इस मामले को उजागर करते हुए, सामाजिक कार्यकर्ता दीपक रंजीत ने कहा, “श्रीजीना बीबी की दर्दनाक स्थिति ने मेरे दिल को झकझोर दिया है। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि हमारे समाज में व्याप्त लापरवाही और संवेदनहीनता को दर्शाती है।” उन्होंने यह भी कहा कि रिम्स में उनका इलाज अधूरा रह जाना और आर्थिक तंगी के कारण निजी अस्पताल न जा पाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने जिला प्रशासन और माननीय जनप्रतिनिधियों से इस मामले में हस्तक्षेप कर तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया।
डीसी का त्वरित संज्ञान और निर्देश
इस अपील के तुरंत बाद, पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त (डीसी) ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने सिविल सर्जन को तत्काल निर्देश दिया कि वे श्रीजीना बीबी से संपर्क करें और उन्हें हरसंभव चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएं। जिला प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि महिला को समय पर और समुचित इलाज मिले, जिसके लिए सभी आवश्यक संसाधन सक्रिय कर दिए गए हैं।प्रशासन की यह त्वरित प्रतिक्रिया न केवल श्रीजीना बीबी की जान बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि भविष्य में ऐसे मामलों में त्वरित राहत सुनिश्चित की जाएगी। यह घटना एक बार फिर से यह सवाल उठाती है कि गंभीर परिस्थितियों में भी जरूरतमंदों को समय पर और सही उपचार क्यों नहीं मिल पाता। फिलहाल, प्रशासन की इस पहल से श्रीजीना बीबी को उम्मीद की एक नई किरण मिली है।