
रांची। जमशेदपुर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-33) पर एक पहाड़ी पर स्थित बुंडू का सूर्य मंदिर छठ महापर्व को लेकर पूरे झारखंड और पड़ोसी राज्यों में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। भगवान सूर्य के रथ के आकार में बना यह मंदिर और इसके तालाब छठ पूजा के दौरान आस्था के केंद्र बन जाते हैं।
भगवान राम से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
इस सूर्य मंदिर का छठ पूजा को लेकर विशेष महत्व है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, यह माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने वनवास के दौरान इसी स्थान पर सूर्य देव की कठोर तपस्या की थी। उन्होंने यह तपस्या राक्षस वध के लिए की थी, जिसके कारण यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है।स्थानीय श्रद्धालुओं की मान्यता है कि यहाँ छठ पर्व के दौरान तालाब में माथा टेकने और अर्घ्य देने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और चर्म रोग जैसी शारीरिक समस्याएं भी दूर होती हैं।
झारखंड और पड़ोसी राज्यों से आते हैं श्रद्धालु

छठ पर्व के दौरान बुंडू के सूर्य मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जिनमें झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोग भी शामिल होते हैं। यहाँ के विशाल तालाब में ही सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने का भव्य आयोजन होता है।
कमेटी और प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था
मंदिर कमेटी छठ पूजा करने वाले व्रतियों और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम करती है। इसमें दूर-दराज से आने वाले भक्तों के लिए ठहरने की व्यवस्था,व्रतियों और श्रद्धालुओं के लिए भोजन एवं शुद्ध पानी की व्यवस्था,तालाब से मंदिर तक पूरे रास्ते में रोशनी (लाइट) लगाई जाती है ताकि श्रद्धालुओं को आने-जाने में कोई परेशानी न हो साथ ही पर्व के दौरान पुलिस प्रशासन की टीम भी मेला क्षेत्र में सुरक्षा के लिए तैनात की जाती है।कमेटी के लोग लगातार नजर बनाए रखते हैं ताकि इतनी बड़ी संख्या में जुटने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो और छठ का महापर्व शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सके।
