
जमशेदपुर। आस्था और परंपरा के प्रतीक सोहराय पर्व के उल्लास के बीच, जमशेदपुर के एमजीएम थाना अंतर्गत बालिगुमा में गुरुवार को पारंपरिक गोरु खूंटा समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया और उत्साह के साथ अपने पालतू बैलों को नचाकर रस्म अदायगी की।
गोरु खूंटा का महत्व: शारीरिक समृद्धता और संपन्नता
जनजातीय समुदाय में गोरु खूंटा का एक अलग ही और महत्वपूर्ण स्थान है। इस रस्म के पीछे गहरी आस्था और मान्यता जुड़ी हुई है, यह माना जाता है कि गोरु खूंटा के दिन बैलों को नचाने से उनकी शारीरिक मजबूती और समृद्धता की पहचान होती है। यह स्वस्थ पशुधन का प्रतीक है।यह रस्म किसानों और उनके परिवारों में सुख और संपन्नता लाने का भी प्रतीक मानी जाती है, क्योंकि बैल कृषि कार्यों में उनके सबसे बड़े सहयोगी होते हैं।
दूर-दराज के किसानों ने उठाया लुत्फ
इस पारंपरिक समारोह को देखने और इसमें हिस्सा लेने के लिए दूर-दराज के आदिवासी बहुल गांव के किसान भी बालिगुमा में जुटे। किसान अपने सजे-धजे बैलों को लेकर आए और ढोल-नगाड़ों की थाप पर उन्हें नचाया।इस उत्सव ने न केवल पारंपरिक रीति-रिवाजों को जीवित रखा, बल्कि जनजातीय समुदाय के लोगों को एक जगह एकजुट होने और अपनी संस्कृति का जश्न मनाने का अवसर भी प्रदान किया। लोगों ने पूरे उल्लास के साथ इस पारंपरिक योजना का लुत्फ उठाया।
