
चाईबासा।पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव रक्त चढ़ाए जाने के मामले ने न केवल जिले में बल्कि पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। इस अत्यंत गंभीर लापरवाही के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित और कड़ा रुख अपनाया है।
सिविल सर्जन निलंबित, अपर सीएमओ को अतिरिक्त प्रभार
मामले की गंभीरता को देखते हुए, चाईबासा के सिविल सर्जन डॉ. सुशांतो कुमार माझी के स्थान पर तत्काल प्रभाव से अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी भारती गोरेती मिंज को सिविल सर्जन का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
7 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी उच्च स्तरीय जांच समिति
स्वास्थ्य विभाग ने इस पूरे प्रकरण की गहन जांच के लिए एक 6 सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव डॉ. नेहा अरोड़ा को इस महत्वपूर्ण कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है।यह समिति सदर अस्पताल के रक्त कोष (ब्लड बैंक) और उससे जुड़े संस्थानों में रक्त संकलन, परीक्षण, भंडारण और वितरण की पूरी प्रक्रिया की गहन जांच करेगी। समिति को निर्देश दिया गया है कि वह सभी अभिलेखों, दस्तावेजों और उपलब्ध विवरणों की पड़ताल कर 7 दिनों के भीतर विभाग को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपे।
मुख्यमंत्री ने दिए थे निलंबन और आर्थिक सहायता के निर्देश
गौरतलब है कि इस मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए चाईबासा सदर अस्पताल के सिविल सर्जन सहित कई पदाधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया है।इसके अलावा, राज्य सरकार ने प्रभावित बच्चों के लिए बड़े फैसले लिए हैं जिसमें पीड़ित बच्चों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा की गई है। एचआईवी पॉजिटिव रक्त चढ़ाने से प्रभावित बच्चों का पूरा इलाज राज्य सरकार अपने खर्च पर कराएगी।इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली और रक्त सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की निगाहें स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिसके बाद जिम्मेदारों पर और सख्त कार्रवाई होने की संभावना है।
