
जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम पुलिस को लगातार दो दिनों की कार्रवाई में कुख्यात सुजीत सिन्हा व प्रिंस खान गिरोह के खिलाफ बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने न केवल एनकाउंटर में एक शूटर को घायल कर गिरफ्तार किया, बल्कि कारोबारी के घर फायरिंग कराने वाले षड्यंत्रकारी मास्टरमाइंड का भी पर्दाफाश कर दिया।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जमशेदपुर को 27/28 अक्टूबर की मध्य रात्रि को गुप्त सूचना मिली थी कि सीतारामडेरा थाना क्षेत्र अंतर्गत मूईयाडीह के कारोबारी हरेराम सिंह के घर पर फायरिंग कांड में शामिल शूटर रवि महानंद उर्फ गोपला, सिदगोड़ा बारीडीह के के-2 एरिया स्थित एक खाली क्वार्टर में छिपा हुआ है।
क्या था मामला ?
सूचना के सत्यापन के लिए पुलिस अधीक्षक (नगर) की निगरानी में एक विशेष टीम गठित की गई जिसके बाद 28 अक्टूबर की रात्रि लगभग 1:30 बजे पुलिस ने क्वार्टर पर छापेमारी की। पुलिस ने दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया तो अपराधी रवि महानंद ने पुलिस पर जानलेवा फायरिंग शुरू कर दी। आत्मरक्षा में पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें अपराधी रवि महानंद उर्फ गोपला के पैर में गोली लगी।घटनास्थल से पुलिस ने लोडेड पिस्टल, कई जिंदा कारतूस, खोखे, शराब की बोतलें, और अन्य सामग्री बरामद किया था। घायल अपराधी को पुलिस ने तत्काल एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया है, जबकि पुलिस टीम पूरी तरह सुरक्षित है।
षड्यंत्रकारी मास्टरमाइंड आकाश सिंह उर्फ लालू गिरफ्तार
मुठभेड़ के कुछ ही घंटे बाद, 28 अक्टूबर की देर रात, पुलिस को एक और बड़ी सफलता मिली। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर न्यू सीतारामडेरा स्लैग रोड क्षेत्र में घूम रहे फायरिंग कांड के मुख्य षड्यंत्रकारी अकाश सिंह उर्फ लालू को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान आकाश सिंह ने जो खुलासा किया, वह चौंकाने वाला है, उसने बताया कि आकाश सिंह और उसका साथी दशरथ शुक्ला व्यवसायी हरेराम सिंह और उनके बेटे हरीश सिंह के करीबी सहयोगी थे और वर्षों से उनके व्यापार में मदद करते थे, जिसके लिए उन्हें हर माह ₹10,000 वेतन मिलता था।करीब छह माह पूर्व, सरकारी शराब दुकान के ठेके वितरण के दौरान, हरीश सिंह ने इन दोनों को जमशेदपुर में काम देने का भरोसा दिया था। लेकिन ठेका मिलने के बाद, हरीश सिंह ने इन्हें नजरअंदाज कर ग्वालियर (मध्य प्रदेश) निवासी प्रेम नारायण शिवहरे को काम दे दिया। इसी बात से नाराज़ होकर आकाश सिंह और दशरथ शुक्ला ने कुख्यात अपराधी सुजीत सिन्हा से संपर्क साधा। दोनों ने हरेराम सिंह परिवार की पूरी जानकारी सुजीत सिन्हा को दी और उन पर रंगदारी का दबाव बनाने को कहा। पुलिस की जांच में सामने आया कि सुजीत सिन्हा गिरोह ने इस योजना को अंजाम देने के लिए दुबई में रह रहे गैंगस्टर प्रिंस खान से भी संपर्क किया था। इन्हीं के इशारे पर हरेराम सिंह को कई बार कॉल और व्हाट्सएप के जरिए रंगदारी की मांग की गई।जब रंगदारी नहीं मिली, तो 10 अक्टूबर 2025 की सुबह हरेराम सिंह के घर पर फायरिंग की घटना को अंजाम दिया गया।
हथियार बरामद और अन्य गिरफ्तारियां के लिए हो रही छापेमारी
पुलिस पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि फायरिंग से पूर्व दशरथ शुक्ला और आकाश सिंह रांची गए थे, जहाँ उन्होंने सुजीत सिन्हा गिरोह के रिया सिन्हा और बब्लू खान की मदद से पिस्टल और कारतूस हासिल किए थे।इससे पहले 23 अक्टूबर 2025 को पुलिस ने दशरथ शुक्ला को तीन पिस्टल और जिंदा गोलियों के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
सुजीत सिन्हा गिरोह के नेटवर्क पर पुलिस का प्रहार
पुलिस का कहना है कि लगातार कार्रवाई और मुठभेड़ में अपराधियों की गिरफ्तारी से सुजीत सिन्हा गिरोह के नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है और उनका मनोबल पूरी तरह टूट चुका है। शेष फरार अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए सघन अभियान जारी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में कई और लोगों की संलिप्तता सामने आ सकती है, जिनकी पहचान और गिरफ्तारी के लिए टीमें तैनात कर दी गई हैं।
