
पटमदा। पटमदा प्रखंड के पाथरडीह गांव निवासी और झारखंड आंदोलन के पुरोधा रहे बुद्धेश्वर महतो (73 वर्ष) का मंगलवार को रांची के रिम्स अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। उन्होंने सुबह 9 बजे अंतिम सांस ली।उनके निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर सुबह से ही लोग उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
ब्रेन हैमरेज के बाद थे रिम्स में भर्ती
मृतक के भतीजे राजशेखर महतो ने जानकारी देते हुए बताया कि तीन दिन पूर्व ब्रेन हैमरेज के बाद चाचा बुद्धेश्वर महतो को रिम्स में भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों ने एक दिन पहले ही उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी थी।बुद्धेश्वर महतो ने झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और वह क्षेत्र के एक लोकप्रिय और सम्मानित व्यक्ति थे। वह एक दर्जन से अधिक सामाजिक संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे।वह आदिवासी कुड़मी समाज एवं पटमदा कॉलेज जाल्ला के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वह पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के अनन्य मित्र थे। इसके अलावा, वह 90 के दशक में जमशेदपुर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके थे।उनके आकस्मिक निधन को क्षेत्र के सामाजिक और राजनीतिक जीवन के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है।
