
रांची /मुंबई ।बॉलीवुड की चमकदार दुनिया में झारखंड के एक और होनहार युवा ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से अलग पहचान बनाई है। रांची के डोरंडा और गिरिडीह जिले के रजधनवार से ताल्लुक रखने वाले युवा फिल्म निर्माता शिव शर्मा आज हिंदी सिनेमा के उभरते हुए प्रोड्यूसरों में शुमार हैं। अपनी रचनात्मक सोच, समर्पण और कहानी कहने की कला के बल पर उन्होंने फिल्म उद्योग में एक खास मुकाम हासिल किया है।
टी-सीरीज़ संग नई फिल्म को मिल रही शानदार प्रतिक्रिया

हाल ही में शिव शर्मा ने टी-सीरीज़ के साथ मिलकर एक नई फिल्म का निर्माण किया है, जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री दिव्या खोसला कुमार और अभिनेता नील नितिन मुकेश ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। यह फिल्म अब नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है और दर्शकों से शानदार प्रतिक्रिया प्राप्त कर रही है।फिल्म के प्रोडक्शन वैल्यू, कहानी और प्रदर्शन को लेकर समीक्षकों ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। यह सहयोग शिव शर्मा के फिल्मी करियर के लिए एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है।
इरफान खान की आखिरी फिल्म से मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान
शिव शर्मा ने इससे पहले दिवंगत अभिनेता इरफान खान की अंतिम फिल्म “द सॉन्ग ऑफ स्कॉर्पियन्स” को प्रस्तुत और सह-निर्मित किया था। इस फिल्म में मशहूर अंतरराष्ट्रीय अभिनेत्री गोलशिफते फरहानी भी नजर आई थीं।राजस्थान की पृष्ठभूमि पर आधारित इस फिल्म को कान फिल्म फेस्टिवल समेत कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया। इसकी भावनात्मक गहराई और कलात्मक दृष्टि ने शिव शर्मा को एक गंभीर और संवेदनशील निर्माता के रूप में स्थापित किया।
सामाजिक विषयों पर केंद्रित रही ‘अम्मा की बोली’
शिव शर्मा की एक और चर्चित फिल्म “अम्मा की बोली” रही, जिसमें प्रतिभाशाली अभिनेता संजय मिश्रा और अभिनेत्री हृषिता भट्ट ने मुख्य भूमिका निभाई थी।यह फिल्म एक छोटे कस्बे की पारिवारिक कहानी पर आधारित है, जो समाज के भीतर के यथार्थ और रिश्तों की जटिलता को बेहद सहजता से सामने लाती है। दर्शकों और समीक्षकों ने इस फिल्म को इसके सच्चे संवाद, प्रामाणिक सेटिंग और भावनात्मक गहराई के लिए खूब सराहा।
नए प्रोजेक्ट्स पर काम जारी
फिलहाल शिव शर्मा कई नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं, जिनमें से कुछ की शूटिंग मुंबई और झारखंड में होने की संभावना है। वे भारतीय सिनेमा में नए विषयों और तकनीकों को जोड़ने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं।उनका मानना है कि सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के विचारों को दिशा देने का सशक्त जरिया है।
“डोरंडा से लेकर मुंबई तक” — सपनों को दिया नई उड़ान
शिव शर्मा की सफलता इस बात का उदाहरण है कि अगर इरादा पक्का हो, तो सीमाएं मायने नहीं रखतीं। उन्होंने झारखंड से निकलकर मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में न सिर्फ कदम रखा, बल्कि अपनी पहचान भी बनाई।उनकी यह यात्रा आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
