जामताड़ा: बीरबेंदिया पुल निर्माण में अनियमितताओं का आरोप, संघर्ष समिति ने उठाई उच्च स्तरीय जांच की मांग

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जामताड़ा: जामताड़ा जिले के बहुप्रतीक्षित बीरबेंदिया पुल के निर्माण कार्य को लेकर अब पुल निर्माण संघर्ष समिति ने जिला प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। समिति ने आरोप लगाया है कि निर्माण कार्य में पारदर्शिता की कमी है और साथ ही मजदूरों की सुरक्षा को भी नजरअंदाज किया जा रहा है।

पारदर्शिता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल

संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि अब तक पुल का जितना भी कार्य हुआ है, उसकी पारदर्शी जांच आवश्यक है। समिति ने मांग की है कि जांच पूरी होने के बाद ही आगे के निर्माण कार्य को जारी रखा जाना चाहिए।समिति ने आरोप लगाया है कि निर्माण कार्य कर रही कंपनी द्वारा अभी तक निर्माण कार्य से संबंधित सूचना बोर्ड तक नहीं लगाया गया है जिससे काम की पारदर्शिता पर बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा होता है। समिति ने यह भी आरोप लगाया कि निर्माण कार्य में बंगाल, यूपी और बिहार के मजदूरों को लगाया गया है, जबकि स्थानीय लोगों को रोज़गार से नहीं जोड़ा जा रहा है। सबसे गंभीर आरोप कार्य कर रहे मजदूरों की सुरक्षा को लेकर है। समिति ने कहा कि मजदूर बिना किसी सुरक्षा किट के काम कर रहे हैं, जिससे किसी भी समय बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है।

भ्रष्टाचार के आरोपों पर कड़ी आपत्ति

पुल निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष अकबर अंसारी ने कहा कि समिति ने इस पुल के निर्माण के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया है, क्योंकि बीते वर्षों में पुल न होने के कारण 2022 में नाव हादसे में 14 लोगों की मौत हुई थी।इस पुल निर्माण का कार्य एक ऐसी कंपनी (राजवीर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड) को दिया गया है, जिस पर पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। यह अपने आप में उच्च स्तरीय जांच का विषय है।”समिति के सचिव ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूर्व में भी इस क्षेत्र में एक पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है, इसलिए प्रशासन को इस बार गंभीरता से जांच करानी चाहिए।

14 मृतकों को श्रद्धांजलि है यह पुल

समिति के सदस्य अशोक महतो ने भावुक अपील करते हुए कहा कि यह पुल उन 14 मृतकों को श्रद्धांजलि स्वरूप बन रहा है जिनकी जान नाव हादसे में चली गई थी यह जनता की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है, इसलिए निर्माण कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही या भ्रष्टाचार न हो। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को पूरी निगरानी रखनी चाहिए।संघर्ष समिति ने इस संबंध में जिला उपायुक्त को आवेदन देकर पुल निर्माण की तकनीकी और वित्तीय जांच कराने की मांग की है।

पुल निर्माण की पृष्ठभूमि

241 करोड़ रुपये निर्माण लागत था जो कि राजवीर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को मिला था ।2022 में नाव हादसे के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की थी। बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने इसका शिलान्यास किया था।पुल बचाओ संघर्ष समिति अब प्रशासन और राज्य सरकार से आग्रह कर रही है कि निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही, शिथिलता या भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तत्परता से जांच करवाई जाए।

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