
पटना/गांधी घाट:अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद और राष्ट्रीय चेतना संस्थान ने हाल ही में संपन्न हुए महापर्व के बाद गांधी घाट पर एक विशेष सफाई अभियान चलाकर सामाजिक जिम्मेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया। देशभक्ति के जज्बे से भरे इन पूर्व सैनिकों ने सेवानिवृत्ति के बाद भी देश की सेवा जारी रखते हुए प्रदूषण और गंदगी के खिलाफ नई लड़ाई शुरू की है।
विसर्जित मूर्तियों और प्लास्टिक को हटाकर की गई शुरुआत
संस्थान के सदस्यों ने सफाई अभियान की शुरुआत घाट पर विसर्जित की गई मूर्तियों को हटाकर की। सदस्यों ने सबसे पहले प्रतिमाओं के गहने और प्लास्टिक को अलग किया। इसके बाद मूर्तियों के बचे हुए हिस्सों को किसी तालाब में प्रवाहित किया गया, ताकि मुख्य घाट की सफाई सुनिश्चित हो सके।
प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई, राष्ट्र निर्माण का पवित्र कार्य
इस अवसर पर परिषद के सदस्यों और संस्थापक ने नागरिकों से देश की ‘नई लड़ाई’ में शामिल होने का आह्वान किया।श्री किशोर कुमार (सदस्य, अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद) ने कहा कि हमारे पूर्व सैनिकों ने अपना पूरा जीवन देश की सीमाओं की रक्षा में समर्पित किया। आज जब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं, तो उनका कर्तव्य समाप्त नहीं हुआ है—बल्कि एक नया अध्याय शुरू हुआ है। आज हमारा देश एक नई लड़ाई लड़ रहा है—प्रदूषण, गंदगी और पर्यावरण विनाश के खिलाफ।श्री वरुण कुमार (संस्थापक, अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद) ने कहा किगांधी घाट पर हम जो सफाई अभियान चला रहे हैं, वह केवल कचरा उठाने का कार्य नहीं है। यह राष्ट्र निर्माण का एक पवित्र कार्य है। यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है।”उन्होंने सभी नागरिकों से इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने और अपने बच्चों को साथ लाने की अपील की, ताकि उन्हें स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के संस्कार मिल सकें।
पर्यावरण अनुकूल उत्सव के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
संस्था ने नागरिकों को भविष्य में पर्यावरण अनुकूल त्योहार मनाने के लिए विस्तृत मार्गदर्शन भी दिया उन्होंने बताया कि मूर्तियों का उपयोग प्लास्टर ऑफ पेरिस पानी में नहीं घुलता, रासायनिक रंग हानिकारक होते हैं। शुद्ध मिट्टी/चिकनी मिट्टी से बनी मूर्तियों का प्रयोग करें। इससे स्थानीय कुम्हारों को प्रोत्साहन मिलेगा।
प्लास्टिक मुक्त उत्सव :
प्लास्टिक/थर्मोकोल सैकड़ों वर्षों तक नष्ट नहीं होते, प्रदूषण फैलाते हैं। | कपड़े या जूट के थैलों का उपयोग करें। पत्तों से बने दोने-पत्तल और धातु के बर्तनों में प्रसाद वितरण करें। सार्वजनिक जल स्रोतों पर दबाव और घरेलू विसर्जन (बड़े टब में) करें और पानी को बाद में पौधों में डालें। हानिकारक सजावट लकड़ी या बांस से बनी सजावट, कागज उत्पादों और स्थानीय रूप से उगाए गए प्राकृतिक फूलों का प्रयोग करें। विसर्जन के बाद फूलों को खाद में बदलें। |सफाई अभियान में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद और राष्ट्रीय चेतना संस्थान के किशोर कुमार, राजीव कुमार, सत्येंद्र कुमार सिंह, शिबू मुखी, निखिल कुमार सिन्हा, आशीष झा, वरुण कुमार, विश्वजीत, जसवीर सिंह, नकुल कुमार, प्रवीण कुमार पांडे, मनोज कुमार सिंह सहित कई सदस्य सक्रिय रूप से शामिल रहे।
