
जमशेदपुर:टाटा वर्कर्स यूनियन की आयोजित कमेटी मीटिंग में उस समय विवाद खड़ा हो गया, जब महासचिव सतीश सिंह ने कथित तौर पर दो समिति सदस्यों के वेतन को सभी सदस्यों के सामने सार्वजनिक करने का प्रयास किया। उन्होंने सदस्यों से कहा कि “आपका वेतन बहुत बढ़ गया है।” इस कृत्य को सदस्यों ने व्यक्तिगत गोपनीयता का गंभीर उल्लंघन और आचार संहिता का उल्लंघन बताया है, जिस पर उन्होंने कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए अध्यक्ष को लिखित शिकायत देकर उचित कार्रवाई की मांग की है।
गोपनीयता का उल्लंघन और वार्ता प्रक्रिया पर प्रभाव
यूनियन के सदस्यों का कहना है कि यह कृत्य कई मायनों में आपत्तिजनक है। सदस्यों ने इसे कर्मचारियों की व्यक्तिगत गोपनीयता और सम्मान का उल्लंघन बताया। सदस्यों का तर्क है कि इस समय कंपनी में वेतन पुनरीक्षण की वार्ता चल रही है। ऐसे संवेदनशील समय में महासचिव द्वारा यह बयान कि “कर्मचारियों की सैलरी बढ़ गई है,” कर्मचारियों की बार्गेनिंग पावर (सौदा करने की शक्ति) को कमजोर करता है और प्रबंधन को गलत संदेश भेज सकता है।
पिछले वेतन पुनरीक्षण में हुए नुकसान की याद दिलाई
शिकायतकर्ता सदस्यों ने याद दिलाया कि जब सतीश सिंह पिछले वेतन पुनरीक्षण के दौरान स्वयं बार्गेनर थे, तब कर्मचारियों को, विशेषकर ‘न्यू सीरीज’ कर्मचारियों को, गंभीर नुकसान हुआ था। उन फैसलों में डीए का ‘ज़ीरो ग्रेड’ लागू करना, डीए पर प्वाइंट में कोई बढ़ोतरी न करना, वेतन संशोधन की अवधि को 5 से बढ़ाकर 7 साल करना, और न्यू सीरीज कर्मचारियों का इंक्रीमेंट वैल्यू कम करना शामिल था। सदस्यों ने कहा कि इन फैसलों का असर आज भी महसूस किया जा रहा है।
यूनियन की छवि और गरिमा पर सवाल
सदस्यों का कहना है कि कमेटी मीटिंग में वेतन सार्वजनिक करना यह दर्शाता है कि महासचिव अपनी जिम्मेदारी और मर्यादा को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उन्होंने इस व्यवहार को निरंकुश बताया और कहा कि इससे कर्मचारियों की गोपनीयता और यूनियन की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।यूनियन की गरिमा और कर्मचारियों के हित को सुरक्षित रखने के लिए सदस्यों ने इस कृत्य पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है और अध्यक्ष से उचित कार्रवाई की मांग की है।
