
राउरकेला/झारखंड: पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा जंगलों में दहशत का पर्याय बन चुका नक्सली रोया कालुंडी उर्फ गणेश ने अंततः हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। गुरुवार को राउरकेला में पश्चिमांचल के डीआईजी ब्रजेश राय और एसपी नितिन बाघवानी के समक्ष उसने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया।
12 साल की उम्र में थामी थी बंदूक
मूल रूप से पश्चिमी सिंहभूम (झारखंड) के जामदा थाना क्षेत्र अंतर्गत कोंटोद्या गांव का निवासी रोया कालुंडी मात्र 12 वर्ष की अल्पायु में ही नक्सली विचारधारा की ओर मुड़ गया था। वह रप्पा और गंगा जैसे नक्सली नेताओं से प्रेरित होकर मोछू के दस्ते में शामिल हुआ था। पिछले कई वर्षों से वह सारंडा के अति-संवेदनशील इलाकों जैसे तिरिलपोशी, लैलोर, जमरडिही और जोजोडेरा में सक्रिय रहकर संगठन के लिए काम कर रहा था।
वर्ष 2025 की बांको विस्फोटक लूट का मुख्य आरोपी
डीआईजी ब्रजेश राय ने बताया कि रोया कालुंडी वर्ष 2025 में हुई बांको विस्फोटक लूट, रेलवे ट्रैक उड़ाने की साजिश और आईईडी ब्लास्ट जैसी कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहा है।डीआईजी ने बांको घटना का खुलासा करते हुए बताया बांको पत्थर खदान में विस्फोटक लूटने के लिए सारंडा में 70-80 नक्सलियों का बड़ा दस्ता सक्रिय था। नक्सली कमांडर अनमोल ने ग्रामीणों को ‘चावल लूटने’ के नाम पर गुमराह किया और उनसे मदद मांगी। बाद में इसी भीड़ और ताकत का इस्तेमाल कर विस्फोटक से भरे वाहन को लूट लिया गया। लूटे गए विस्फोटकों के कुछ कार्टून जंगल में छिपा दिए गए थे, जबकि कुछ झारखंड ले जाए गए थे।
नक्सली विचारधारा से हुआ मोहभंग
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, रोया कालुंडी ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह संगठन के भीतर बढ़ते खतरे और नक्सलियों की खोखली विचारधारा से निराश हो चुका था। ओडिशा सरकार की ‘आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति’ से प्रभावित होकर उसने मुख्यधारा में जुड़ने का फैसला किया।
मिलेगी सरकारी सहायता
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सभी निर्धारित सुविधाएं, वित्तीय सहायता और सुरक्षा प्रदान की जाएगी। डीआईजी ने अन्य भटके हुए युवाओं से भी अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटें।
