
जमशेदपुर: लौहनगरी जमशेदपुर सहित पूरे पूर्वी सिंहभूम जिले में चरमराती शिक्षा व्यवस्था और छात्रों की समस्याओं को लेकर ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। मंगलवार को संगठन के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम जिला उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं।
“छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बंद करे सरकार”
AIDSO के नेताओं ने जिले के शैक्षणिक संस्थानों की बदहाली पर गहरी चिंता व्यक्त की। कार्यकर्ताओं का कहना है कि एक ओर सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हैं। छात्रवृत्ति का समय पर न मिलना और बुनियादी सुविधाओं का अभाव गरीब मेधावी छात्रों के सपनों को कुचल रहा है।
AIDSO की प्रमुख 7 सूत्री मांगें:
संगठन ने जिला प्रशासन के माध्यम से सरकार के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखी हैं जिसमे मुख्य रूप से छात्रवृत्ति राशि का अविलंब भुगतान सुनिश्चित किया जाए। स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियमित बहाली हो। लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल करने के लिए वर्षों से लंबित छात्र संघ चुनाव कराए जाएं। छात्राओं की सुरक्षा के लिए संस्थानों में ठोस और प्रभावी व्यवस्था हो। निजी और सरकारी संस्थानों में की गई अनियंत्रित फीस वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाए। ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों से आने वाले छात्रों के लिए सस्ती परिवहन सुविधा उपलब्ध हो। संस्थानों में आधुनिक लैब, समृद्ध पुस्तकालय और डिजिटल संसाधनों की कमी दूर की जाए।
नई शिक्षा नीति (NEP-2020) पर कड़ा प्रहार
प्रदर्शन के दौरान AIDSO ने नई शिक्षा नीति 2020 को सिरे से खारिज करते हुए इसे ‘छात्र विरोधी’ करार दिया। संगठन का आरोप है कि यह नीति शिक्षा के निजीकरण और बाजारीकरण को बढ़ावा दे रही है।”NEP-2020 गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों को शिक्षा की मुख्यधारा से बाहर करने की साजिश है। शिक्षा कोई व्यापार नहीं, बल्कि हर छात्र का मौलिक अधिकार है। हम इस नीति को रद्द करने तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे।”
जल्द कार्रवाई न हुई तो होगा उग्र आंदोलन
AIDSO नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने इन मांगों पर जल्द संज्ञान नहीं लिया, तो संगठन पूरे जिले में व्यापक आंदोलन शुरू करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि छात्र समुदाय अब चुप नहीं बैठेगा और अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा।
