
जमशेदपुर: अक्सर आसमान में उड़ते विमानों को देख अपनी आंखों में सपने सजाने वाले ‘मस्ती की पाठशाला’ के बच्चों का सपना मंगलवार को हकीकत में बदल गया। एयर इंडिया एक्सप्रेस और टाटा स्टील फाउंडेशन ( की एक संयुक्त पहल के तहत करीब 150 बच्चों को ‘जॉय फ्लाइट’ का अनूठा अनुभव कराया गया। त्योहारों के इस मौसम में बच्चों के लिए यह किसी जादुई उपहार से कम नहीं था।
रांची एयरपोर्ट पर पायलटों से सीधा संवाद
हवाई सफर की शुरुआत सुबह जमशेदपुर से हुई, जहां से बच्चों को विशेष बसों के जरिए रांची स्थित बिरसा मुंडा हवाई अड्डा ले जाया गया। उड़ान भरने से पहले बच्चों के लिए एक विशेष ‘प्री-फ्लाइट संवाद सत्र’ आयोजित किया गया। इसमें एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलटों और केबिन क्रू ने बच्चों से बातचीत की। बच्चों ने बड़े उत्साह के साथ विमानन क्षेत्र और पायलट बनने से जुड़े सवाल पूछे, जिससे उन्हें करियर की नई दिशाओं के बारे में जानकारी मिली।
45 मिनट का रोमांच और बादलों के बीच उत्सव
दोपहर 12:30 बजे जैसे ही विमान ने रनवे से उड़ान भरी, बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। करीब 45 मिनट की इस जॉय फ्लाइट के दौरान बच्चों ने पहली बार बादलों के ऊपर से दुनिया को देखा। इनमें से अधिकांश बच्चे ऐसे थे जिन्होंने अपने जीवन में पहली बार हवाई जहाज के अंदर कदम रखा था। उड़ान के दौरान बच्चों को विशेष भोजन परोसा गया, जिससे विमान के अंदर का माहौल किसी उत्सव जैसा बन गया।
टाटा स्टील फाउंडेशन का अहम सहयोग
इस पूरे अभियान को सफल बनाने में टाटा स्टील फाउंडेशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। फाउंडेशन के शिक्षकों और सहयोगियों ने बच्चों का मार्गदर्शन किया। साथ ही, आईटीआई तमाड़ में बच्चों के रुकने और भोजन की सुव्यवस्थित व्यवस्था की गई।
नेतृत्व के विचार
इस अवसर पर एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रबंध निदेशक आलोक सिंह ने कहा बच्चों की आंखों में जो चमक और उत्साह हमने देखा, वही इस पहल की सबसे बड़ी सफलता है। हमें खुशी है कि हम इन नन्हे सपनों को पंख दे सके।”वहीं, टाटा स्टील फाउंडेशन के सीईओ सौरव रॉय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा यह साझेदारी केवल एक हवाई यात्रा नहीं थी, बल्कि बच्चों को यह विश्वास दिलाने का प्रयास था कि उनके सपने भी सच हो सकते हैं। यह अनुभव उन्हें भविष्य में और ऊंचा उड़ने के लिए प्रेरित करेगा।
उज्ज्वल भविष्य की ओर एक कदम
‘मस्ती की पाठशाला’ के ये बच्चे अब अपने साथ केवल एक सफर की यादें नहीं, बल्कि एक नया आत्मविश्वास लेकर लौटे हैं। इस पहल ने यह साबित कर दिया कि सही अवसर और सहयोग मिले तो समाज के हर वर्ग का बच्चा आसमान छू सकता है।
