भागवत कथा द्वितीय दिवस: शिव-पार्वती विवाह प्रसंग पर झूमे श्रद्धालु, आचार्य नीरज मिश्रा ने बताया “साधना और ध्यान से ही संभव है अमृत्व की प्राप्ति”

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जमशेदपुर:शहर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। व्यास पीठ से आचार्य श्री नीरज मिश्रा जी ने कथा के दूसरे दिन भागवत की उत्पत्ति, भगवान के वाराह अवतार और शिव-पार्वती विवाह जैसे पावन प्रसंगों का सजीव वर्णन किया। मधुर भजनों की तान पर श्रद्धालु इस कदर मंत्रमुग्ध हुए कि पूरा पांडल शिव-शक्ति के जयकारों से गूंज उठा।

साधना और ध्यान का महत्व

आचार्य नीरज मिश्रा ने आध्यात्मिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साधना के क्षेत्र में जिसने भी सच्चे मन से ध्यान लगाया, उसी ने अमृत्व को प्राप्त किया। उन्होंने एक सुंदर उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार परीक्षा में बैठने से ज्ञान की प्राप्ति निश्चित है, उसी प्रकार प्रभु की शरण में बैठने से आत्मिक शांति और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कथा हमेशा भगवान के सम्मुख बैठकर एकाग्रता से सुननी चाहिए।

शिव-पार्वती विवाह और अमर कथा का प्रसंग

कथा के दौरान शिव-पार्वती विवाह के प्रसंग ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया। आचार्य जी ने महादेव के कैलाश वास और माता पार्वती को सुनाई गई ‘अमर कथा’ का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि महादेव की पूजा का फल अनंत है। “प्रभु के घर में देर है, अंधेर नहीं।” अटूट विश्वास ही भक्त को भगवान से जोड़ता है।

वाराह अवतार और वेदों का ज्ञान

सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान द्वारा धारण किए गए वाराह अवतार की कथा सुनाते हुए आचार्य जी ने बताया कि कैसे अधर्म का नाश करने के लिए प्रभु विविध रूप धारण करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने चारों वेदों की महत्ता और व्यास जी के योगदान पर भी विस्तृत चर्चा की।

पिता-पुत्र के संबंधों पर मार्मिक सीख

आध्यात्मिक चर्चा के साथ-साथ आचार्य जी ने सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों पर भी जोर दिया। उन्होंने पिता और पुत्र के संबंधों की व्याख्या करते हुए कहा कि संस्कारों से ही परिवार और समाज का निर्माण होता है। यदि पुत्र संस्कारी हो, तो कुल का उद्धार हो जाता है।

भजन और नृत्य से भक्तिमय हुआ माहौल

कथा के बीच-बीच में जब शिव विवाह के भजन गाए गए, तो श्रद्धालु अपनी जगहों पर खड़े होकर झूमने और नाचने लगे। श्रद्धालुओं की आंखों में भक्ति के आंसू और चेहरे पर परमानंद की मुस्कान साफ देखी जा सकती थी।

आरती और प्रसाद वितरण

कथा के विश्राम पर मुख्य यजमानों सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भागवत आरती उतारी। इसके पश्चात सभी के बीच भोग और प्रसाद का वितरण किया गया। आयोजन समिति ने बताया कि आगामी दिनों में कृष्ण जन्मोत्सव और अन्य विशेष झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा।

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