
जमशेदपुर:शहर में जारी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्ति के सागर में गोते लगाते नजर आए। व्यास पीठ से आचार्य श्री नीरज मिश्रा जी ने भगवान के बावन अवतार और नरसिंह अवतार का मार्मिक वर्णन करते हुए जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित हुए।
कष्ट में सब्र ही सबसे बड़ा हथियार
आचार्य नीरज मिश्रा ने कुंती माता के जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि संसार में सबसे अधिक कष्ट कुंती ने सहे, लेकिन उनका विश्वास कभी नहीं डगमगाया। उन्होंने भक्तों को सीख दी कि जब जीवन में परेशानी, अनुराग या वैराग्य आए, तो सब्र रखना अनिवार्य है। किसी भी कार्य को धीरे-धीरे और धैर्य के साथ करने से सफलता निश्चित मिलती है। जीवन की सबसे बड़ी विपत्ति वह नहीं जो धन छीन ले, बल्कि वह है जिसमें भगवान का भजन छूट जाए।
भीष्म पितामह और द्रौपदी का संवाद
कथा के दौरान आचार्य जी ने भीष्म पितामह के अंतिम समय का अत्यंत भावुक प्रसंग सुनाया। 54 दिनों तक शरशय्या पर कष्ट झेल रहे पितामह और द्रौपदी के संवाद का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि संतों का मत है— “कभी भी गलत व्यक्ति के साथ नहीं रहना चाहिए और न ही अधर्म से अर्जित धन का अन्न ग्रहण करना चाहिए।” गलत संगत और गलत धन बुद्धि को भ्रष्ट कर देता है, जैसा भीष्म पितामह ने कौरवों का साथ देकर अनुभव किया था।
परीक्षित का जन्म और युधिष्ठिर की तीन सीख
आचार्य जी ने बावन अवतार के जन्म और द्वारिकाधीश द्वारा परीक्षित के नामकरण की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि महाराज युधिष्ठिर ने परीक्षित को राजपाठ सौंपते समय तीन महत्वपूर्ण बातें बताई थी ।यदि शत्रु भी द्वार पर आए, तो उसे क्षमा करना।कभी किसी के साथ अन्याय होते मत देखना।सृष्टि के हर जीव को एक समान सम्मान देना।आश्चर्यजनक रूप से, जब परीक्षित को मृत्युदंड की घोषणा हुई, तो वे दुखी होने के बजाय खुश होकर नाचने लगे, क्योंकि उन्हें लगा कि अब वे प्रभु के चरणों में जाने के अधिकारी बन गए हैं।
भजन और भक्ति में डूबा माहौल
कथा के दौरान भजनों की मधुर प्रस्तुति पर श्रद्धालु झूमने को मजबूर हो गए। आचार्य जी ने विदुर जी के निष्कासन और उनकी अटूट भक्ति का भी वर्णन किया। उन्होंने आह्वान किया कि कथा हमेशा भगवान के सम्मुख बैठकर एकाग्रता से सुननी चाहिए।
अतिथियों का स्वागत और आयोजन टीम
कथा के तीसरे दिन विधायक सरयू राय, जिला परिषद डॉ. कविता परमार, मंजू सिंह, सुधीर सिंह और पवन सिंह ने व्यास पीठ का आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में शत्रुघ्न प्रसाद, संजय गुप्ता, रूपा गुप्ता, स्वाति गुप्ता, अमर भूषण और देवाशीष झा सहित पूरी टीम सक्रिय रही। कथा के अंत में भव्य आरती हुई और भक्तों के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया।
