
जमशेदपुर:शहर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक आचार्य श्री नीरज मिश्रा जी ने भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य (जन्म) प्रसंग का अत्यंत मनमोहक वर्णन किया। जैसे ही भगवान का जन्म हुआ, पूरा पंडाल ‘नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ के जयकारों से गूंज उठा। इस अवसर पर मुख्य रूप से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
कथा का सार: सकारात्मकता और सेवा ही जीवन का आधार
आचार्य नीरज मिश्रा ने कथा की महिमा बताते हुए कहा कि भागवत केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। उन्होंने भक्तों को प्रेरित करते हुए जीवन के कुछ महत्वपूर्ण सूत्रों पर प्रकाश डाला। आचार्य जी ने कहा कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां क्यों न आएं, व्यक्ति को हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। यही सकारात्मकता हमें निरंतर आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करती है। कथा में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि हमें अपने घर के बुजुर्गों की सेवा निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए। उनके अनुभव और दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही हम जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। रुकना मृत्यु के समान है; इसलिए मनुष्य को अपने नैतिक मूल्यों को साथ लेकर हमेशा जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
धार्मिक अनुष्ठान के इस गौरवमयी क्षण में कई प्रमुख हस्तियां शामिल हुईं। मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे रघुवर दास ने व्यास पीठ का आशीर्वाद लिया। उनके साथ भूपेन्द्र सिंह, भूपेन्द्र सूर्यवंशी और जंबू अखाड़ा के संरक्षक बंटी सिंह भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने कथा श्रवण कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की।
सफलतापूर्वक आयोजन में इनकी रही मुख्य भूमिका
कार्यक्रम को भव्य और सफल बनाने में आयोजन समिति के सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा। मुख्य रूप से शत्रुघ्न प्रसाद, संजय गुप्ता, रूपा गुप्ता, अमर भूषण और देवाशीष झा सहित कई सेवादारों ने व्यवस्था संभालने में सक्रिय भूमिका निभाई।
आरती और प्रसाद वितरण
कथा के विश्राम पर भगवान की भव्य आरती उतारी गई। इसके पश्चात उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। कृष्ण जन्म की खुशी में भक्तों ने झूमते-गाते हुए उत्सव मनाया।
