
जमशेदपुर: शहर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं और उनके प्राकट्य के प्रसंग ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया। कथा वाचक आचार्य श्री नीरज मिश्रा जी ने अपनी ओजस्वी वाणी से भगवान के जन्म की ऐसी महिमा गाई कि पूरा पंडाल गोकुल धाम के समान प्रतीत होने लगा।
वासुदेव जी का त्याग और यमुना पार का प्रसंग
आचार्य जी ने प्रसंग सुनाते हुए बताया कि ब्राह्मणों के वचनों और ईश्वरीय संकेत के अनुसार, वासुदेव जी ने नन्हे बालक (श्रीकृष्ण) को टोकरी में रखकर यमुना नदी के उफनते जल को पार किया। उन्होंने बताया कि उस समय प्रकृति भी भगवान की सेवा में लीन थी। कथा के दौरान मथुरा के राजा उग्रसेन की लाचारी और कंस की क्रूरता का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि कंस का जो कठोरता का आडंबर था, वह उसकी बहन देवकी की विदाई के समय आंसुओं में बह गया, जिससे सिद्ध होता है कि भावनाएं हर किसी में होती हैं।
जीवन का अटल सत्य: मृत्यु और महामृत्युंजय
कथा के माध्यम से आचार्य नीरज मिश्रा ने जीवन के गंभीर रहस्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा इस पृथ्वी पर जो आया है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इस अटल सत्य को यदि कोई पार पा सकता है, तो वह केवल ‘महामृत्युंजय’ (भगवान शिव) की शरण में रहकर ही संभव है। आचार्य जी ने समझाया कि माया हमेशा व्यक्ति को बंधनों में जकड़ती है और जो माया के वशीभूत रहता है, उसे कष्ट भोगना पड़ता है।उन्होंने बताया कि पहले पुत्र का नाम कीर्तिमान था और कैसे बलराम जी का एक नाम ‘संकर्षण’ पड़ा।
नंदगांव में उत्सव और खुशहाली
जैसे ही कथा में भगवान के नंदगांव पहुंचने का प्रसंग आया, पूरा वातावरण “नंद घर आनंद भयो” के जयकारों से गूंज उठा। आचार्य जी ने कहा कि नंद बाबा के घर लाला के जन्म की खबर मिलते ही क्षण भर में पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। पूरा गांव जश्न में डूब गया, जिसे आज कथा पंडाल में मौजूद भक्तों ने नाचते-गाते हुए जीवंत कर दिया।
गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
कथा के पांचवें दिन शहर की कई प्रमुख हस्तियों ने शिरकत की, जिनमें मुख्य रूप से अमरप्रीत सिंह काले (भाजपा प्रदेश प्रवक्ता),पंकज सिन्हा (जिला परिषद उपाध्यक्ष),राजकुमार सिंह (पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष),बृजभूषण सिंह (संपादक, इस्पात मेल),बंटी सिंह (संरक्षक, जंबू अखाड़ा),बलबीर मंडल (अध्यक्ष, हिंदू जागरण मंच),अमित झा एवं रणवीर मंडल उपस्थित रहे।
प्रसाद वितरण एवं सफल आयोजन
कार्यक्रम के समापन पर भगवान को विशेष भोग लगाया गया और उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया। आयोजन को सफल बनाने में शत्रुघ्न प्रसाद, संजय गुप्ता, रूपा गुप्ता, स्वाति गुप्ता, अमर भूषण, और देवाशीष झा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
