धनबाद: बीसीसीएल के प्रदूषण के खिलाफ गरजे दो विधायक, जयराम महतो और राज सिन्हा ने प्रबंधन को दिया 36 घंटे का अल्टीमेटम

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धनबाद: कोयलांचल में बीसीसीएल द्वारा किए जा रहे उत्खनन से फैल रहे भारी प्रदूषण के खिलाफ अब जन-आक्रोश फूट पड़ा है। शुक्रवार को पर्यावरण बचाव संघर्ष समिति के बैनर तले केंदुआडीह और पुटकी क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों ने सड़कों पर उतरकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस आंदोलन को डुमरी विधायक जयराम महतो और धनबाद विधायक राज सिन्हा का भी पुरजोर समर्थन मिला।

विरोध जुलूस और धरना: नेहरू पार्क में जुटी भारी भीड़

ग्रामीणों ने प्रदूषण के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कच्छी बलिहारी से पुटकी नेहरू पार्क तक एक विशाल विरोध जुलूस निकाला। यह जुलूस बाद में नेहरू पार्क में एक दिवसीय धरने में तब्दील हो गया। हाथों में तख्तियां लिए ग्रामीण बीसीसीएल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। ग्रामीणों का आरोप है कि कोयला उत्खनन और ओबी डंपिंग के कारण पूरा क्षेत्र धूल की चादर में लिपटा रहता है, जिससे सांस लेना दूभर हो गया है।

नियमों को ताक पर रखकर हो रहा है खनन: जयराम महतो

धरने को संबोधित करते हुए डुमरी विधायक जयराम महतो ने बीसीसीएल प्रबंधन पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि प्रबंधन सारे नियमों को ताक पर रखकर कोयला उत्खनन कर रहा है। सुरक्षा और पर्यावरण के मानकों की अनदेखी के कारण न केवल वायु प्रदूषण, बल्कि ध्वनि प्रदूषण से भी आम जनता का जीवन नरक बन गया है। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

विधायक राज सिन्हा का 36 घंटे का अल्टीमेटम

वहीं, धनबाद विधायक राज सिन्हा ने कहा कि प्रदूषण की स्थिति भयावह हो चुकी है। उन्होंने मौके से ही बीसीसीएल के सीएमडी मनोज अग्रवाल से दूरभाष पर बात की और वस्तुस्थिति से अवगत कराया। सीएमडी ने तत्काल स्थानीय जीएम को प्रभावित क्षेत्रों में जल छिड़काव करने का निर्देश दिया है। राज सिन्हा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ओबी उठाने से पहले उस पर पानी का छिड़काव अनिवार्य है। उन्होंने प्रबंधन को 36 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि निर्धारित समय में ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीण और समिति मिलकर बीसीसीएल के ओबी डंपिंग कार्य को पूरी तरह ठप कर देंगे।

प्रदूषण से प्रभावित है आम जनजीवन

समिति के सदस्यों ने बताया कि कोयला उत्खनन के दौरान निकलने वाली धूल घरों, पेड़-पौधों और जल स्रोतों पर जमा हो रही है। इससे बच्चों और बुजुर्गों में सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक प्रबंधन प्रदूषण नियंत्रण के पुख्ता इंतजाम नहीं करता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

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