सरायकेला: चांडिल में जंगली हाथी का तांडव, कुकड़ू में किसान को पटक-पटक कर मार डाला; ग्रामीणों में भारी आक्रोश

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चांडिल: सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीती रात कुकड़ू प्रखंड की लेटेमदा पंचायत अंतर्गत नुतुनडीह गांव में एक जंगली हाथी ने हमला कर एक किसान की जान ले ली। इस दर्दनाक हादसे के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल है और वन विभाग के प्रति ग्रामीणों में गहरा रोष व्याप्त है।

खेतों की रखवाली के दौरान हुआ हमला

मृतक की पहचान 50 वर्षीय बुका महतो उर्फ गौरांग महतो के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, बुका महतो अपने खेतों के पास थे, तभी अचानक एक जंगली हाथी ने उन पर हमला कर दिया। हाथी ने उन्हें बुरी तरह कुचल दिया, जिससे उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। घटना की खबर फैलते ही गांव में चीख-पुकार मच गई।

वन विभाग ने दी तत्काल सहायता

घटना की सूचना मिलते ही चांडिल रेंज के रेंजर शशि प्रकाश और फॉरेस्टर राधारमण ठाकुर दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। वन विभाग की ओर से मृतक के परिजनों को तत्काल सहायता के रूप में 50 हजार रुपये नकद प्रदान किए गए। रेंजर ने आश्वासन दिया कि शेष मुआवजा राशि (लगभग 3.50 लाख रुपये) सरकारी प्रक्रिया और कागजी कार्रवाई पूरी होते ही जल्द उपलब्ध करा दी जाएगी।

सुरक्षा के लिए दिए टॉर्च और पटाखे

हाथियों के दोबारा हमले की आशंका को देखते हुए ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने गांव मेंतीन हाई-पावर टॉर्च लाइट उपलब्ध कराई हैं।हाथियों को डराकर भगाने के लिए बम और पटाखे वितरित किए गए हैं।वन विभाग की टीम को क्षेत्र में गश्त तेज करने का निर्देश दिया गया है।

जनप्रतिनिधियों ने जताया शोक, सुरक्षा की मांग की

हादसे की खबर मिलते ही पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष अशोक साव उर्फ माझी साव, जिला परिषद प्रतिनिधि सुनील महतो, मुखिया इंद्रजीत सिंह और ग्राम प्रधान हिमांशु कुमार सिंह नुतुनडीह गांव पहुंचे। उन्होंने शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाया और वन विभाग से मांग की कि हाथियों को रिहायशी इलाकों से दूर भगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि इस क्षेत्र में हाथियों का हमला एक स्थायी समस्या बन गया है, जिसके लिए ‘एलीफेंट कॉरिडोर’ या सोलर फेंसिंग जैसे उपायों पर विचार करना जरूरी है।

दहशत में ग्रामीण

नुतुनडीह और आसपास के गांवों के लोग इस घटना के बाद से काफी डरे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शाम ढलते ही हाथियों का झुंड बस्तियों की ओर रुख कर लेता है, जिससे फसलों के साथ-साथ जान-माल का भी भारी नुकसान हो रहा है।

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