
जमशेदपुर:शहर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का रविवार को भक्ति और उल्लास के साथ समापन हो गया। कथा के सातवें और अंतिम दिन भगवान श्री कृष्ण और सुदामा के मिलन के मार्मिक प्रसंग ने पंडाल में मौजूद हर श्रद्धालु की आंखें नम कर दीं। पूरा वातावरण ‘हरे कृष्णा’ के जयघोष से गुंजायमान रहा।
इंद्रियों के संयम का मिला संदेश
कथावाचक ने आज के सत्र में जीवन के बहुमूल्य आध्यात्मिक विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने ‘बछड़े’ का उदाहरण देते हुए बताया कि जिस प्रकार बछड़ा चंचल होता है, वैसे ही हमारी इंद्रियां भी चंचल होती हैं।श्री कृष्ण ने संदेश दिया है कि यदि हम ईश्वर को अपने जीवन में लाना चाहते हैं, तो हमें अपनी इंद्रियों पर संयम रखना होगा।कथा के दौरान श्री कृष्ण का गोवर्धन पर्वत पर बांसुरी बजाते हुए मनमोहक चित्रण किया गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो भक्ति का समुद्र और ज्ञान की नदी का संगम हो रहा हो।
फूलों की होली और भजनों की अविरल धारा
कार्यक्रम के अंत में ‘फूलों की होली’ का आयोजन किया गया। भजनों की रसधार पर श्रद्धालु झूम उठे और एक-दूसरे पर फूल बरसाकर अपनी खुशी जाहिर की। पूरा पंडाल भक्तिमय उमंग में डूबा रहा। श्रद्धालुओं ने लगातार भजनों का रसपान किया और अंत में भगवान को विशेष भोग अर्पित कर सभी के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया।
दिग्गज राजनेताओं और गणमान्य जनों की उपस्थिति
भक्ति के इस महासंगम में शहर की कई प्रमुख हस्तियों ने शिरकत की और भगवान का आशीर्वाद लिया। मुख्य रूप से दिनेश कुमार: पूर्व अध्यक्ष, भाजपा जमशेदपुर महानगर,चंद्रगुप्त सिंह: केंद्रीय सचिव, आजसू,बबुआ सिंह: जिला उपाध्यक्ष,संजय कुमार सिन्हा: धर्म जागरण मंच,संजीव सिंह एवं अन्य अतिथि उपस्थित रहे।
सफल आयोजन में इनका रहा योगदान
सात दिनों तक चले इस भव्य अनुष्ठान को सफल बनाने में आयोजन समिति के सदस्यों ने दिन-रात मेहनत की। इनमें मुख्य रूप से शत्रुघ्न प्रसाद, संजय गुप्ता, रूपा गुप्ता, स्वाति गुप्ता, अमर भूषण, और देवाशीष झा सहित कई सेवादारों का सराहनीय योगदान रहा।भागवत कथा के समापन पर श्रद्धालुओं ने भावभीनी विदाई दी। आयोजन समिति ने बताया कि ऐसे कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज में आध्यात्मिक चेतना जगाना और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देना है।
