कुड़मी को एसटी दर्जा देने के विरोध में सरायकेला में उबाल, पारंपरिक हथियारों के साथ आदिवासियों का जोरदार प्रदर्शन

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सरायकेला:कुड़मी (महतो) समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में झारखंड के आदिवासी समाज का उबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड कार्यालय में आदिवासी समुदाय के लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग अपने पारंपरिक परिधान और हरवे-हथियारों (धनुष-बाण, पारंपरिक हथियार) के साथ प्रखंड कार्यालय पहुंचे और जमकर नारेबाजी की।

आदिवासी अधिकारों की रक्षा करो” के नारे गूंजे

प्रदर्शन के दौरान पूरा परिसर “कुड़मी को एसटी सूची में शामिल करना बंद करो” और “आदिवासी अधिकारों की रक्षा करो” जैसे नारों से गूंज उठा।प्रदर्शनकारी आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि कुड़मी समाज को किसी भी परिस्थिति में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ संगठन राजनीतिक लाभ के लिए कुड़मी समुदाय को आदिवासी घोषित करने की साजिश रच रहे हैं, जो वास्तविक आदिवासी समुदायों के अस्तित्व और पारंपरिक अधिकारों पर सीधा आघात है।आदिवासी नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह विरोध किसी जाति या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने पारंपरिक अधिकारों और पहचान की रक्षा के लिए है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज हजारों वर्षों से अपनी संस्कृति, भाषा, परंपरा और धर्म के साथ अस्तित्व में रहा है, और इसे कोई भी कानून या राजनीतिक निर्णय बदल नहीं सकता।

बीडीओ और सीओ को सौंपा ज्ञापन, दी बड़े आंदोलन की चेतावनी

विरोध प्रदर्शन के दौरान समुदाय के प्रतिनिधियों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) और अंचल अधिकारी (सीओ) को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कुड़मी समाज को आदिवासी दर्जा देने का प्रयास किया, तो आदिवासी समाज बड़े पैमाने पर और उग्र आंदोलन करेगा।सीओ ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांगों और आपत्तियों को जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य सरकार तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने समुदाय से शांति और व्यवस्था बनाए रखने की अपील भी की।इस विरोध में कई पारंपरिक और सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि, गांवों के मुखिया, महिला मंडल और युवा संगठन के सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए। प्रदर्शन स्थल पर ढोल-नगाड़ों की गूंज और पारंपरिक नारों से पूरा माहौल अत्यंत भावनात्मक और उत्तेजित रहा।गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में कुड़मी समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने की मांग ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।

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