
जमशेदपुर। झारखंड में होने वाले घाटशिला उपचुनाव से पहले कुड़मी महतो समाज ने अपनी लंबित माँगों को लेकर वोट बहिष्कार का कड़ा ऐलान कर दिया है। समाज ने कहा है कि जब तक राज्य और केंद्र सरकार उनकी माँगों पर लिखित आश्वासन नहीं देती, तब तक वे मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेंगे।
75 वर्षों से जारी है लड़ाई: अमित महतो
कुड़मी महतो समाज के नेता अमित महतो ने इस संबंध में अपनी बात रखते हुए कहा कि कुड़मी महतो समाज विगत 75 वर्षों से अपने अधिकार को लेकर लगातार आंदोलन कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन 75 वर्षों में न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार ने उनकी माँगों पर कोई ध्यान दिया है।
अमित महतो ने कहा कि किसी कारणवश वर्ष 1950 में कुड़मी समाज को पिछड़ी जनजाति की सूची से बाहर कर दिया गया था। तब से लेकर अब तक 75 वर्ष हो गए हैं, लेकिन अब तक कुड़मी समाज को वापस पिछड़ी जनजाति में शामिल नहीं किया गया है।इस लंबित माँग के खिलाफ कुड़मी समाज लगातार रेल रोको आंदोलन सहित विभिन्न माध्यमों से विरोध प्रदर्शन कर रहा है।
लिखित आश्वासन पर ही होगा मतदान
अमित महतो ने स्पष्ट किया कि इस बार घाटशिला उपचुनाव में समाज का फैसला अंतिम होगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा अगर राज्य सरकार और केंद्र सरकार समाज के लोगों के साथ सकारात्मक वार्ता एवं लिखित आश्वासन नहीं देती है, तो मजबूरन कुड़मी महतो समाज को घाटशिला उपचुनाव में वोट का बहिष्कार करना पड़ेगा। सरकार उनकी एक भी माँग पर लिखित आश्वासन देगी, तभी समाज उपचुनाव में वोट करेगा।कुड़मी महतो समाज के इस ऐलान के बाद घाटशिला उपचुनाव में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है, और सभी राजनीतिक दलों पर समाज के साथ तुरंत वार्ता शुरू करने का दबाव बढ़ गया है।
