
जमशेदपुर। बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ का असर अब पूर्वी सिंहभूम जिले, खासकर जमशेदपुर और ग्रामीण क्षेत्रों में साफ दिखने लगा है। पिछले कुछ घंटों से तेज हवा के साथ लगातार हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि इससे उनकी खड़ी धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।
खेतों में ‘सो गया’ धान
किसानों की शिकायत है कि यह बारिश और तेज हवा उनके वर्षों की मेहनत पर पानी फेर रही है। किसान श्रवण रजक ने बताया कि “एक सप्ताह के भीतर धान की कटनी शुरू होने वाली थी, लेकिन बारिश और हवा चलने से खेतों में लगी धान की फसल कहीं-कहीं गिर गई है, जिसे ‘सो जाना’ कहते हैं। इससे दाने खराब होने और उत्पादन घटने की आशंका है।”श्रवण रजक और अन्य किसानों का कहना है कि अगर बारिश और हवा का सिलसिला नहीं रुका, तो और ज्यादा धान का नुकसान हो सकता है, जिससे वे आर्थिक संकट में आ जाएंगे।
सरसों और सब्जी की खेती को भी नुकसान
सिर्फ धान ही नहीं, बल्कि इस चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ ने रबी की शुरुआत में लगाई गई सरसों और सब्जी की खेती को भी काफी नुकसान पहुंचाया है। अत्यधिक नमी और हवा के कारण इन फसलों के भी प्रभावित होने की आशंका है।किसान अब प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि मौसम की स्थिति सामान्य होने पर जल्द से जल्द नुकसान का आकलन कराया जाए और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।
