
सरायकेला। कुड़मी/महतो समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में और आदिवासियों के लिए ‘सरना धर्म कोड’ लागू करने की मांग को लेकर सरायकेला जिला मुख्यालय में बुधवार को माझी परगना महाल के नेतृत्व में आदिवासी समुदाय द्वारा एक बड़ा धरना प्रदर्शन किया गया।प्रदर्शन में शामिल बड़ी संख्या में आदिवासियों ने अपनी लंबित मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया और सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया।
कुड़मी कभी भी आदिवासी नहीं रहे: माझी परगना महाल
प्रदर्शन के पश्चात, माझी परगना महाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कुड़मी/महतो समुदाय कभी भी आदिवासी नहीं रहे हैं। पूर्व में गठित लुकर समिति द्वारा भी इनकी मांगों को खारिज किया जा चुका है। इसके बावजूद उन्हें एसटी सूची में शामिल करने की मांग करना आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।आदिवासी समुदाय का तर्क है कि कुड़मी को एसटी सूची में शामिल करने से उनके पहले से ही सीमित संसाधनों और सरकारी लाभों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
सरना धर्म कोड लागू करने की मांग
प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार से जल्द से जल्द आदिवासियों के लिए ‘सरना धर्म कोड’ को मान्यता देने की मांग भी दोहराई। उनका कहना था कि अलग धार्मिक कोड न होने के कारण जनगणना में उनकी विशिष्ट पहचान और संस्कृति की गणना सही तरीके से नहीं हो पा रही है।इस धरना प्रदर्शन में काफी संख्या में आदिवासी ग्रामीण, माझी बाबा, और देश परगना शामिल हुए। उन्होंने पारंपरिक वेशभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ एकजुट होकर अपनी मांगों को मजबूती से रखा।
