मानगो से चला “फर्जी वैज्ञानिक फैक्ट्री” का भंडाफोड़ — 19 हजार में बना दिया परमाणु वैज्ञानिक, मुंबई क्राइम ब्रांच की बड़ी कार्रवाई

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जमशेदपुर:जमशेदपुर के मानगो स्थित एशिया इंटरनेशनल ह्यूमन रिसोर्स कंसल्टेंसी के संचालक मोनाजिर खान ने फर्जीवाड़े का ऐसा नेटवर्क खड़ा किया था, जिसने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। यह केवल एक कंसल्टेंसी नहीं, बल्कि ऐसी “फर्जी पहचान फैक्ट्री” थी जहां महज कुछ हजार रुपये में किसी को भी वैज्ञानिक, इंजीनियर या अधिकारी बनाया जा सकता था।

परमाणु जासूसी कांड से जुड़ा खुलासा

मुंबई क्राइम ब्रांच की जांच में खुलासा हुआ है कि मोनाजिर खान ने परमाणु जासूसी के आरोपी अख्तर हुसैन को वर्ष 2016-17 में महज 19 हजार रुपये में नई पहचान “एलेक्जेंडर पामर” देकर “वैज्ञानिक” बना दिया था। उसने अख्तर के लिए तीन फर्जी पासपोर्ट, आधार कार्ड और पैन कार्ड तैयार किए थे। इतना ही नहीं, उसने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) का फर्जी नियुक्ति प्रमाण पत्र और 10वीं से लेकर एमबीए तक की फर्जी डिग्रियों की पूरी फाइल तैयार की थी।इन्हीं दस्तावेजों के सहारे अख्तर ने 2017 से 2025 के बीच कई देशों की यात्राएं कीं, जिससे उसे एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा समझा जा रहा है।

कार्यालय से बरामद हुए चौंकाने वाले सबूत

मुंबई क्राइम ब्रांच ने 25 अक्टूबर को मोनाजिर को मानगो चौक स्थित उसके दफ्तर से गिरफ्तार किया था। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने सात डिजिटल स्टोरेज डिवाइस, कंप्यूटर और सैकड़ों दस्तावेज जब्त किए हैं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मोनाजिर का यह फर्जीवाड़ा सिर्फ अख्तर तक सीमित नहीं, बल्कि उसने झारखंड और अन्य राज्यों में सैकड़ों लोगों के लिए फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र और पहचान पत्र बनाए हैं।फिलहाल सभी जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने किन-किन लोगों को फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराए।

फर्जी प्रमाण पत्र रैकेट की जड़ें झारखंड में

जांच एजेंसियों को आशंका है कि मोनाजिर खान का नेटवर्क झारखंड, बंगाल, दिल्ली और मुंबई तक फैला है। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि उसने कई प्राइवेट एजुकेशन बोर्ड और ओपन यूनिवर्सिटियों के नाम पर फर्जी डिग्रियां बेचने का धंधा भी शुरू कर रखा था।

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां हुईं सतर्क

मामला अब सिर्फ फर्जीवाड़ा या धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू जुड़ जाने के बाद मुंबई पुलिस, दिल्ली क्राइम ब्रांच और झारखंड पुलिस संयुक्त रूप से जांच कर रही हैं। एजेंसियों को शक है कि इस नेटवर्क का इस्तेमाल जासूसी गतिविधियों, मनी लॉन्ड्रिंग और पहचान छिपाने के लिए किया गया हो सकता है।

जमशेदपुर में अन्य कंसल्टेंसी पर भी नजर

मोनाजिर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जमशेदपुर और आसपास के इलाकों में चल रहे अन्य “कंसल्टेंसी सेंटरों” पर भी निगरानी बढ़ा दी है। कई ऐसे संस्थानों की सूची तैयार की जा रही है जो रोजगार या वीजा सेवाओं की आड़ में फर्जी दस्तावेज तैयार कर रहे हैं।

फिलहाल मुंबई पुलिस की हिरासत में

मोनाजिर खान को फिलहाल मुंबई पुलिस की हिरासत में रखा गया है, जहां उससे लगातार पूछताछ जारी है। सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में कई अन्य नाम सामने आ सकते हैं जो इस फर्जी पहचान रैकेट का हिस्सा रहे हैं।यह खुलासा अब केवल जासूसी का मामला नहीं, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा, पहचान तंत्र और शैक्षणिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

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