जमशेदपुर में 6 से 8 नवंबर तक आयोजित होगी ‘क्रिटिकल मेटल्स कांग्रेस 2025’, देश-विदेश के विशेषज्ञ एक मंच पर करेंगे विचार-विमर्श

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जमशेदपुर। भारत सरकार के राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल्स मिशन के तहत उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला जमशेदपुर में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है।06 से 08 नवंबर 2025 के दौरान सीएसआईआर-एनएमएल परिसर में ‘क्रिटिकल मेटल्स कांग्रेस 2025’ का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन में खान मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, और भारी उद्योग मंत्रालय का सहयोग प्राप्त है।

महत्वपूर्ण धातुओं की बढ़ती स्वदेशी मांग पर होगा फोकस

महत्वपूर्ण धातुओं की बढ़ती स्वदेशी मांग को देखते हुए, यह सम्मेलन देश के नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और उद्योगों को एक साझा मंच पर लाएगा। यह सीएसआईआर-एनएमएल द्वारा आयोजित क्रिटिकल मिनरल्स पर पहला कार्यक्रम है, जो संस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर मिल रही नई भूमिका को दर्शाता है।

सम्मेलन के प्रमुख आकर्षण

यह तीन दिवसीय कार्यक्रम महत्वपूर्ण खनिजों के भविष्य और आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती पर केंद्रित रहेगा। मुख्य सत्रों में शामिल होंगे जिसमे महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा संबोधन,अनुसंधान पर केंद्रित सत्र, जिसमें महत्वपूर्ण खनिज सज्जीकरण, प्राथमिक और द्वितीयक (पुनर्चक्रण) स्रोतों से निष्कर्षण और पृथक्करण की तकनीकों पर चर्चा होगी, महत्वपूर्ण खनिजों के लिए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय नीतियों, तथा आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को मजबूत करने पर केंद्रित सत्र,महत्वपूर्ण खनिजों में नवीनतम अनुसंधान एवं विकास को प्रदर्शित करने हेतु एक विशेष सत्र और प्रतिभागियों के लाभ के लिए, इस क्षेत्र में प्रसिद्ध उद्योगों द्वारा विकसित नवीनतम तकनीकों की एक प्रदर्शनी भी प्रदर्शित की जाएगी।

राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण

सीएसआईआर-एनएमएल द्वारा आयोजित यह आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि महत्वपूर्ण खनिजों की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।महत्वपूर्ण खनिज वे खनिज हैं जो आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु अत्यंत आवश्यक होते हैं।भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था उन तकनीकों (जैसे: इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा उपकरण) से संचालित होगी जो महत्वपूर्ण खनिजों पर अत्यधिक निर्भर हैं।इसलिए, इन खनिजों के लिए नीतियाँ बनाने, तकनीक विकसित करने और मज़बूत आपूर्ति श्रृंखलाएँ बनाने की दिशा में सचेत प्रयास किए जाने चाहिए।

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