
घाटशिला। सोना देवी विश्वविद्यालय में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस बड़े उत्साह, श्रद्धा और गरिमा के साथ मनाया गया।यह दिवस भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद जी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया गया।कार्यक्रम में शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर शिक्षा और शिक्षक के महत्व पर सारगर्भित विचार रखे और एक-दूसरे के प्रति सम्मान व्यक्त किया।
शिक्षकों के सम्मान में हुआ आयोजन
विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस समारोह में छात्र-छात्राओं ने अपने शिक्षकों के प्रति आदर और आभार प्रकट किया।कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और मौलाना अबुल कलाम आजाद के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई।इसके बाद विद्यार्थियों ने शिक्षकों को पुष्प और उपहार देकर सम्मानित किया।छात्रों ने शिक्षकों के योगदान पर कविताएँ, भाषण और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दीं।
मुख्य वक्ताओं ने रखा विचार – “शिक्षक समाज का वास्तविक निर्माता”
इस अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शिवचन्द झा और संस्कृत विभाग की सहायक प्राध्यापिका कुमारी निकिता मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।अपने संबोधन में डॉ. झा ने कहा “शिक्षक समाज का वास्तविक निर्माता होता है।वही राष्ट्र के भविष्य को सशक्त दिशा प्रदान करता है।शिक्षक केवल ज्ञान नहीं देता, बल्कि चरित्र, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की भावना का भी संचार करता है।”वहीं कुमारी निकिता ने अपने वक्तव्य में कहा “शिक्षा का उद्देश्य केवल सफलता प्राप्त करना नहीं, बल्कि संस्कारों और मानवीय मूल्यों की स्थापना करना है।शिक्षा ही वह कुंजी है जो बंद भविष्य के द्वार खोलती है।”
छात्रों ने साझा किए अपने विचार
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने भी शिक्षा और शिक्षकों की भूमिका पर अपने विचार रखे।उन्होंने कहा कि शिक्षक ही वह प्रकाश हैं जो अज्ञान के अंधकार को दूर करते हैं।छात्रों ने शिक्षकों के मार्गदर्शन को अपनी सफलता की नींव बताया और आभार व्यक्त किया।
माहौल रहा प्रेरणादायी और भावनात्मक
पूरे कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में एक भावनात्मक और प्रेरणादायी माहौल देखने को मिला।शिक्षकों ने छात्रों के प्रदर्शन की सराहना की और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।अंत में धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
