
जमशेदपुर।राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर में गुरुवार को जनजातीय गौरव दिवस बड़े ही उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का स्मरण करते हुए भारत के जनजातीय समुदायों के अमूल्य योगदान को नमन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि अर्पण के साथ हुआ।
मुख्य अतिथि रहे समाजसेवी रतन तिर्की
इस अवसर पर प्रसिद्ध जनजातीय नेता एवं समाजसेवी श्री रतन तिर्की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।अपने प्रेरक संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत की जनजातीय संस्कृति न केवल हमारी पहचान का प्रतीक है बल्कि यह संघर्ष, समानता और आत्मगौरव का भी आधार है।उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे जनजातीय परंपराओं के संरक्षण, संवर्धन और प्रचार में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं।
“पहले खुद पर गर्व करें, तभी समाज को आगे बढ़ा सकते हैं”
रतन तिर्की ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा अपने समाज को आगे बढ़ाने के लिए पहले स्वयं पर गर्व करना सीखिए।वीर बिरसा मुंडा ने हमें यह सिखाया कि आत्मगौरव और संघर्षशीलता ही पहचान की असली ताकत है।उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे केवल पुस्तकों तक सीमित न रहें, बल्कि जीवन में उद्देश्यपूर्ण सोच विकसित करें और समानता, गरिमा एवं संघर्षशीलता के मूल्यों को आत्मसात करें।
संविधान की उद्देशिका का सामूहिक वाचन
कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि की उपस्थिति में भारतीय संविधान की उद्देशिका ( का सामूहिक वाचन किया गया।यह क्षण समानता, एकता और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना का प्रतीक बना।तिर्की ने बताया कि संविधान सभा में झारखंड से तीन प्रमुख जनजातीय प्रतिनिधि — जयपाल सिंह मुंडा, देवेंद्र नाथ सामंत और बोनिफेस लकड़ा शामिल थे।उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों तक जनजातीय नायकों के इस गौरवशाली इतिहास को पहुँचाना हमारा दायित्व है।
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम का उल्लेख
अपने संबोधन में रतन तिर्की ने बताया कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (Chotanagpur Tenancy Act) की प्रेरणा भगवान बिरसा मुंडा से मिली थी।इस अधिनियम का प्रारूप जे. बी. हॉपमैन द्वारा 1903 में तैयार किया गया था और इसे 1905 में लागू किया गया।उन्होंने कहा कि यह कानून आदिवासी भूमि और पहचान की रक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था।
निदेशक ने दिया समावेशिता का संदेश
एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक प्रो. गौतम सूत्रधार ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी को जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामनाएँ दीं।उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जैसे जनजातीय नायकों का योगदान भारत की आत्मा और चेतना का हिस्सा है।उन्होंने छात्रों से भारत की विविधता और जनजातीय धरोहर पर गर्व करने का आह्वान किया।
अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में उप निदेशक प्रो. आर. वी. शर्मा, कार्यवाहक कुलसचिव प्रो. एस. के. सारंगी,डीन छात्र कल्याण डॉ. आर. पी. सिंह सहित कई प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।सभी ने भारत की समृद्ध जनजातीय संस्कृति पर अपने विचार साझा किए और भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही।
एनआईटी की पहल — “संस्कृति, समावेश और सम्मान”
यह आयोजन एनआईटी जमशेदपुर की समावेशिता, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय गौरव के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।संस्थान ने इस अवसर के माध्यम से छात्रों को यह संदेश दिया कि “भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है, और जनजातीय विरासत उसका अभिन्न अंग।”
