जेकेएस महाविद्यालय मानगो में झारखंड स्थापना दिवस सप्ताह पर प्रतियोगिता का आयोजन,भाषण और चित्रांकन प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों ने झारखंड की संस्कृति, प्रकृति और विकास पर व्यक्त किए विचार

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जमशेदपुर। झारखंड स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर जेकेएस महाविद्यालय, मानगो में एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) की ओर से विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।इस अवसर पर झारखंड स्थापना दिवस सप्ताह के अंतर्गत भाषण एवं चित्रांकन प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।

प्रतियोगिता के विषय रहे — “सतत विकास” और “आदिवासी विरासत”

भाषण प्रतियोगिता का विषय था — “झारखंड में सतत विकास : प्रकृति और प्रगति के बीच संतुलन”,वहीं चित्रांकन प्रतियोगिता का विषय रखा गया — “झारखंड की समृद्ध आदिवासी विरासत और संस्कृति”।प्रतिभागियों ने अपने विचारों और रचनात्मकता के माध्यम से राज्य की सांस्कृतिक विविधता, पर्यावरण संरक्षण और विकास की दिशा में संतुलन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

प्रभारी प्राचार्य डॉ. मोहित कुमार ने छात्रों को दिया संदेश

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. मोहित कुमार ने स्थापना दिवस की रजत जयंती पर विद्यार्थियों को संबोधित किया।उन्होंने कहा झारखंड की विरासत और आदिवासी संस्कृति, कला, शिल्प, संगीत और नृत्य में प्रकृति और परंपरा का अद्भुत मेल दिखाई देता है।राज्य को आज जरूरत है कि वह अपनी समृद्ध सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखते हुए विकास और आधुनिकीकरण में संतुलन बनाए रखे।उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे सामाजिक समरसता, समानता और न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देते हुए झारखंड के समृद्ध भविष्य के निर्माण में योगदान दें।

प्रोफेसर जी. राम ने दिया जनजातीय गौरव का संदेश

प्रो. जी. राम ने झारखंड स्थापना दिवस और जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह दिन राज्य की प्राकृतिक सुंदरता, खनिज संपदा और सांस्कृतिक विविधता की याद दिलाता है।उन्होंने कहा जनजातीय गौरव दिवस न केवल आदिवासी परंपरा का सम्मान करने का अवसर है,बल्कि भगवान बिरसा मुंडा जैसे महान नायक के संघर्ष और बलिदान को स्मरण करने का भी दिन है।”

“प्रकृति और संस्कृति झारखंड की पहचान” — डॉ. मनीषा सिंह

इतिहास विभाग की शिक्षिका डॉ. मनीषा सिंह ने अपने संबोधन में झारखंड की प्राकृतिक संपदा और पारिस्थितिक संतुलन पर विस्तार से चर्चा की।उन्होंने कहा —“झारखंड हरे-भरे जंगलों, झरनों, पहाड़ों और वन्य जीवों की विविधता से भरा हुआ है।हमें इस विरासत को संरक्षित करते हुए आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना होगा।”

कार्यक्रम का समापन और धन्यवाद ज्ञापन

कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर बसंती कुमारी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।उन्होंने झारखंड के उज्ज्वल और विकसित भविष्य की कामना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों में राज्य की संस्कृति और पर्यावरणीय चेतना को जीवित रखते हैं।

कार्यक्रम में शिक्षकों और छात्रों की सक्रिय उपस्थिति

इस अवसर पर एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. श्वेता श्रीवास्तव,प्रो. लक्ष्मी मुर्मू, प्रो. रूपेश रजक, प्रो. शोभित भट्टाचार्य,प्रो. अनीता देवगम सहित कई शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।शिक्षेतर कर्मचारियों में अवधेश पांडे, मुकेश कुमार, शंकर रजक, प्रतिमा कुमारी आदि शामिल रहे।वहीं छात्रों में साबिर अली, आयुष, नायाब तहसीन, श्रुति, शगुफ्ता, आरिफा, रुखसाना समेत अन्य प्रतिभागियों ने कार्यक्रम को सफल बनाया।

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