जमशेदपुर। बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी जलापूर्ति योजना में व्याप्त अव्यवस्थाओं, फंड की कथित लूट और पेयजल संकट को लेकर स्थानीय लोगों के बीच गहरा आक्रोश है। बागबेड़ा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष एवं जिला भाजपा मुख्यालय प्रभारी सुबोध झा ने विभाग और ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (पंचायत) पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि यह योजना दोनों के लिए “सोने का अंडा देने वाली” बन चुकी है, जबकि क्षेत्र की 20 हजार की आबादी आज भी शुद्ध पानी के लिए तरस रही है।
1140 घरों की आबादी अब बढ़कर 3300 मकान, पर योजना वही पुरानी
सुबोध झा ने बताया कि जब यह योजना बनी थी तब बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी में 1140 घर थे,आबादी करीब 9000 थी।आज स्थिति बदल चुकी है—मकानों की संख्या बढ़कर 3300 हो गई,आबादी 20,000 से अधिक पहुंच चुकी है।उन्होंने कहा कि घरों में रहने वालों के अलावा कई जगह किरायेदार भी हैं, लेकिन जलापूर्ति योजना को लगभग 10 साल पुरानी जनसंख्या के हिसाब से ही चलाया जा रहा है, जिससे आज तक लोगों को नियमित पानी नहीं मिल पा रहा है।
फंड आया, काम आधा-अधूरा, पानी एक बूंद भी नहीं
सुबोध झा के अनुसार, कई बार आंदोलनों और मांगों के बाद विभाग को भारी फंड उपलब्ध कराया गया—1 करोड़ 10 लाख रुपए (पाइपलाइन बिछाने के लिए),21 लाख 63 हजार रुपए,1 करोड़ 88 लाख रुपए (फिल्टर प्लांट निर्माण के लिए)।लेकिन इसके बावजूद—जनता को एक बूंद भी स्वच्छ पानी नहीं मिला।विभाग और पंचायत एक-दूसरे पर आरोप लगाकर जिम्मेदारी से बचते रहे।करोड़ों की लूट की आशंका लगातार सामने आती रही।
20 हजार की आबादी के लिए मात्र 20 हजार गैलन क्षमता का प्लांट
झा ने बताया कि—पहले से 50,000 गैलन क्षमता की पानी टंकी मौजूद है।इसके बावजूद नया फिल्टर प्लांट सिर्फ 20,000 गैलन क्षमता का बनाया जा रहा है।20 हजार की आबादी के लिए यह क्षमता अत्यंत कम है। इससे साफ है कि भविष्य में भी लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल सकेगा।
पंचायत द्वारा अवैध वसूली का आरोप
सुबोध झा ने पंचायत पर गंभीर आरोप लगाए—₹1050 सिक्योरिटी मनी,हर घर से ₹100 मासिक शुल्क,सैकड़ों घरों में अवैध कनेक्शन,किसी तरह का लेखा-जोखा उपलब्ध नहीं,RTI के तहत भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।
जनहित याचिका के बाद मिला फंड, पर काम अब भी अधूरा
झा ने बताया कि मजबूर होकर उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसके बाद सरकार ने 1 करोड़ 88 लाख रुपए जारी किए और 26 जुलाई 2024 तक काम पूरा कर पानी देने का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन नवंबर आ चुका है और योजना अभी तक अधूरी है।
विभाग और पंचायत एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे, जनता परेशान
विभाग मुखिया को हिसाब देने की चिट्ठी भेजता है—कार्रवाई नहीं होती।पंचायत कहती है—विभाग हमारे बिना निर्णय लेता है।पूर्व मुखिया पर भी हिसाब न देने का आरोप है।इस तरह दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है, और जनता बीच में ठगी जा रही है।
मजबूरी में ₹25–30 प्रति बोतल खरीदकर पी रहा है पानी
बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी के लोगों को शुद्ध पानी की भारी कमी है।लोग ₹25–30 प्रति बोतल का पानी खरीदने को मजबूर हैं।
सीबीआई जांच की मांग
सुबोध झा ने स्पष्ट कहा—“यह योजना पंचायत से नहीं चल सकती। इसे जुस्को या पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जैसी स्वतंत्र एजेंसी को दिया जाए। अब इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए, क्योंकि करोड़ों की लूट हुई है।”उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेश के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ।बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी जलापूर्ति योजना ही नहीं, बल्कि बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना भी लूट का अड्डा बन चुकी है।
