रांची। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा हाल ही में सोशल मीडिया पर बनाई गई एक रील को लेकर राज्य भर में विवाद खड़ा हो गया है। वायरल वीडियो में मंत्री को सरकारी अस्पताल के OPD में डॉक्टर की भूमिका में बैठकर मरीजों से बातचीत करते देखा जा रहा है। इस पर कई सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों ने कड़ा सवाल उठाया है।दावा किया जा रहा है कि उनका नाम NMC (National Medical Commission) के अधिकृत पंजीकृत डॉक्टरों की सूची में शामिल नहीं है, ऐसे में OPD में बैठना “अनुचित” और “मरीजों की सुरक्षा के लिए जोखिम” बताया जा रहा है।
मंत्री पर लगा ‘मरीजों की जान से खिलवाड़’ का आरोप
विरोध कर रहे संगठनों का कहना है कि जिस राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से संकट में है, वहां बिना पंजीकरण के डॉक्टर की कुर्सी पर बैठना नियमों के विपरीत है।“यदि ऐसे दौरान किसी मरीज को नुकसान होता है तो जिम्मेदारी किसकी होगी?”बीते महीनों में झारखंड के कई अस्पतालों में अव्यवस्था, संसाधनों की कमी, संदिग्ध रक्त चढ़ाने, और मरीजों को स्ट्रेचर की जगह खाट पर ले जाए जाने जैसी घटनाएँ चर्चा में रही हैं। इसी पृष्ठभूमि में यह घटना नए सवाल खड़े कर रही है।
रिम्स (RIMS) की जमीन पर अपार्टमेंट निर्माण का मामला भी चर्चा में
इसी बीच रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) की जमीन पर कथित रूप से अपार्टमेंट निर्माण को लेकर भी राजनीतिक हलकों में नाराज़गी देखी जा रही है।अखबारों में छपी रिपोर्ट्स के अनुसार संबंधित भूमि रिम्स से जुड़ी बताई गई है, जिस पर बहुमंजिला इमारत तैयार की जा रही है।सवाल उठाए जा रहे हैं कि इतनी बड़ी इमारत “बिना सिस्टम की जानकारी या सहमति” के कैसे बन रही है। यदि निर्माण अवैध है तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई।हालाँकि इस मामले में सरकार या रिम्स प्रशासन की ओर से आधिकारिक बयान अभी सामने नहीं आया है।
RIMS-2 परियोजना को लेकर भी उठे सवाल
नगड़ी इलाके में प्रस्तावित RIMS-2 परिसर के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन पर भी स्थानीय आदिवासी और मूलवासी किसानों ने कई बार विरोध प्रदर्शन किया है।विरोधियों का आरोप है कि “सरकार स्वास्थ्य सुविधा विस्तार के नाम पर जमीन ले रही है, लेकिन बाद में इन जमीनों का उपयोग किसी और उद्देश्य के लिए हो सकता है। “रिम्स की मौजूदा जमीन पर विवाद और कथित अनियमितताएँ लोगों के संदेह को और बढ़ाती हैं।
अबुआ सरकार’ पर विपक्ष का हमला
विपक्षी दलों और कई नागरिक समूहों ने इसे लेकर सरकार को घेरा है।उनका आरोप है कि “राज्य में नौटंकी, भ्रष्टाचार और सिस्टम की अनियमितताएँ बढ़ती जा रही हैं।सरकारी अस्पतालों की हालत से जनता परेशान है, और दूसरी ओर मंत्री रील बनाने में व्यस्त हैं।हालाँकि अब तक स्वास्थ्य मंत्री की ओर से इन आरोपों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर फिर उठा बड़ा सवाल
यह पूरा मामला ऐसे समय में सामने आया है जब अस्पतालों की अव्यवस्था,डॉक्टरों की कमी,उपकरणों के अभाव और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के चरमराने की तस्वीरें लगातार समाचारों में बनी हुई हैं।
