
जमशेदपुर:बढ़ती ठिठुरन के बीच शहर आगामी जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) 2025 के लिए तैयार है, जो 20 और 21 दिसंबर को बिस्टुपुर में साहित्य, संस्कृति और विचार की ऊष्मा से भरने जा रहा है। इस वर्ष के फेस्टिवल में देश के चर्चित खोजी पत्रकार, लेखक, पर्यावरण-विचारक और ख्यात नदी-विज्ञानी अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज कराएँगे।
सोपान जोशी का विशेष व्याख्यान: ‘शब्द, समाज और सरोकार’
देश के चर्चित खोजी पत्रकार और लेखक सोपान जोशी आयोजन की शोभा बढ़ाएँगे। उनकी लेखनी खेती-किसानी, जल–वन–पर्यावरण, विज्ञान, और सामाजिक दुविधाओं पर गहरी पड़ताल करती है। सोपान जोशी की प्रमुख पुस्तकें हैं जल थल मल, एक था मोहन, बापू की पाती, शिव पुत्र कथा और मैंगीफेरा इंडिका: अ बायोग्राफी ऑफ द मैंगो। आयोजन के दूसरे दिन 21 दिसंबर को प्रातः 11:30 बजे से उनका विशेष व्याख्यान होगा, जिसका शीर्षक है: ‘शब्द, समाज और सरोकार’।यह सत्र पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, शोधार्थियों एवं छात्र–छात्राओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा। सोपान जोशी अपने अनुभवों और चिंतन की रोशनी में बताएँगे कि विचार कैसे जन सरोकारों को दिशा देंगे और एक पत्रकार के शब्द कैसे समाज को समझने का आईना बनते हैं। इस सत्र में सोपान जोशी स्वयं विषय-प्रवेश भी करेंगे।
सिकुड़ती नदियों की कहानी: डॉ. दिनेश कुमार मिश्र का उद्बोधन
देश के ख्यात नदी-विज्ञानी, लेखक और पर्यावरण-चिंतक डॉ. दिनेश कुमार मिश्र अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज कराएँगे। आईआईटी से एमटेक की उपाधि प्राप्त डॉ. मिश्र ने नदियों को केवल जलधारा नहीं, बल्कि जीवनधारा के रूप में देखा और समझा है। उनकी लेखनी नदियों की आत्मकथा है, जहाँ जल, जन और जीवन की त्रासदी, संघर्ष और सौंदर्य एक साथ बहते हैं। उनकी पुस्तकें बंदिनी महानंदा,बगावत पर मजबूर मिथिला की कमला नदी, नहीं दुई पाटन के बीच में कोसी नदी की कहानी और बागमती की सद्गति नदी-अध्ययन और पर्यावरण साहित्य की बुनियादी कृतियाँ मानी जाती हैं।
विद्यादीप जल-संस्कृति सम्मान से होंगे अलंकृत
फेस्टिवल के दौरान डॉ. दिनेश मिश्र को नदी-पारिस्थितिकी और पर्यावरण साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए विद्यादीप जल-संस्कृति सम्मान से अलंकृत किया जाएगा।यह सम्मान उन्हें खूंटी जिले के वयोवृद्ध सैनिक, पर्यावरण-पुरुष और जनजातीय समाज के प्रेरक व्यक्तित्व सोमा मुंडा प्रदान करेंगे। सोमा मुंडा पाँच दशकों से जनजातीय अस्मिता, शिक्षा, जल–वन–भूमि संरक्षण और सामाजिक पुनर्जागरण के अग्रदूत रहे हैं।
जलकुंभी से साड़ी बनाने वाले गौरव आनंद से होगी मुलाकात
सत्र में जमशेदपुर के युवा पर्यावरण इंजीनियर गौरव आनंद से भी मुलाकात होगी। उन्होंने जलकुंभी जल-घास को आजीविका और नवाचार का माध्यम बना दिया है। स्वर्णरेखा नदी की सफाई से शुरू हुआ उनका यह काम आज आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण का एक अद्भुत मॉडल बन चुका है। इस सत्र में रांची के वरिष्ठ अधिवक्ता रश्मि कात्यायन की विशिष्ट उपस्थिति रहेगी।
आधुनिकता के नाम पर खो रही है आत्मा: आयोजकों की अपील
आयोजन समिति के सदस्यों लाला मूनका और डॉ. मुदिता चंद्रा ने भावपूर्ण अपील करते हुए कहा कि जब विकास के नाम पर नदियाँ बाँधी जाती हैं, जंगल उजाड़े जाते हैं, और आदिवासी अपने ही भूभाग पर विस्थापित हो जाते हैं— तब हमें स्वयं से पूछना होता है: “क्या आधुनिकता के नाम पर हम अपनी आत्मा खो रहे हैं?”जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल शब्दों, विचारों और सरोकारों के महाकुंभ के स्वागत को तैयार है। दो दिनों का यह महोत्सव सिर्फ साहित्य नहीं, यह समाज, संवेदना और सरोकारों की पुनर्स्थापना का उत्सव है।
