
जमशेदपुर। विश्व स्तरीय केबल निर्माण कंपनी इनकैब के बंद पड़े रहने और हाल ही में न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले से नाराज कर्मचारियों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का बड़ा निर्णय लिया है। कर्मचारियों ने यह फैसला किया है कि वे कंपनी को वेदांता जैसी बड़ी कंपनी को सौंपने और उन्हें उनके बकाए का मात्र छह प्रतिशत देने के निर्णय को चुनौती देंगे।
न्यायालय के फैसले से गहरी निराशा
पिछले तीन दशक से बंद पड़ी इनकैब के संचालन का मामला एनसीएलटी न्यायालय में विचाराधीन था। इस कंपनी को संचालित करने के लिए टाटा स्टील, वेदांता समेत कई बड़ी कंपनियों ने दावा प्रस्तुत किया था।कर्मचारियों को उम्मीद थी कि न्यायालय मजदूर हित में फैसला देगा, लेकिन आदेश वेदांता के पक्ष में आया। सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात पर है कि इस फैसले में कर्मचारियों को उनके बकाये का मात्र छह प्रतिशत (6%) देने की बात कही गई है, जिससे कर्मचारी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
केबल संघर्ष समिति की बैठक में हुआ फैसला
न्यायालय के इस निर्णय के विरोध में मंगलवार को केबल संघर्ष समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई। मजदूर नेताओं और कर्मचारियों ने इस बैठक में साफ तौर पर कहा कि यह फैसला मजदूरों के हित में बिल्कुल नहीं है।समिति के नेताओं का कहना है कि “25 वर्षों से बंद पड़े इस संस्थान में अब भी कई कर्मचारी क्वार्टरों में रह रहे हैं और बेहद खराब आर्थिक स्थिति में जीवन बिता रहे हैं। हम उम्मीद में थे कि कंपनी दोबारा खुलेगी, लेकिन वर्तमान फैसले ने हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।”नेताओं ने स्पष्ट किया कि वे न्यायालय से नाराज नहीं हैं, लेकिन फैसला मजदूरों के साथ अन्याय करता है। उनका आरोप है कि फैसले में मजदूरों के पक्ष को अनदेखा किया गया है और संभवतः यह फैसला प्रभावित भी हुआ होगा।
सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद
नेताओं ने दृढ़ता से कहा कि 25 वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद भी वे मजदूरों के अधिकार छीनने नहीं देंगे। संघर्ष समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि वे एनसीएलटी के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
