सीपीआई का केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा: श्रम कोड, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी पर व्यापक आंदोलन की चेतावनी

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जमशेदपुर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की सिंहभूम जिला परिषद की एक महत्वपूर्ण बैठक रविवार को जमशेदपुर में आयोजित की गई, जिसका मुख्य एजेंडा केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष की रणनीति तैयार करना रहा। बैठक की अध्यक्षता पार्टी के राज्य मंत्री महेन्द्र पाठक ने की, जबकि इसमें जिला सचिव अम्बुज ठाकुर सहित जिला इकाई के सभी प्रमुख पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

श्रम कानूनों में बदलाव ‘मजदूरों के अधिकारों पर हमला’

बैठक में केंद्र सरकार द्वारा पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर चार नए श्रम कोड लागू करने के फैसले पर तीखी आपत्ति जताई गई। पार्टी नेताओं ने इसे “मजदूर वर्ग के अधिकारों पर सीधा हमला” बताया।सीपीआई नेताओं का आरोप है कि इन नए कानूनों से श्रमिकों की सुरक्षा, नौकरी की स्थिरता और संगठित होकर आवाज उठाने की ताकत कमजोर होगी, जिससे मजदूरों को आधुनिक गुलामी जैसी स्थिति में धकेला जा रहा है।

महंगाई और बेरोजगारी पर गहरी चिंता

पार्टी नेताओं ने देश में तेजी से बढ़ती बेरोजगारी और बेलगाम महंगाई को आम जनता की कमर तोड़ने वाला बताया। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि खाद्य पदार्थों, ईंधन और रोजमर्रा की जरूरतों की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से मजदूर, किसान और मध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है।

किसानों की अनदेखी का आरोप

बैठक में किसानों की समस्याओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई। नेताओं ने आरोप लगाया कि किसानों को आज भी उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।खेती की लागत लगातार बढ़ती जा रही है।सरकारी नीतियां बड़े कॉरपोरेट घरानों के हित में बनाई जा रही हैं।सीपीआई ने मजदूर हितों की अनदेखी और बढ़ती आर्थिक असमानता को देश के लिए एक गंभीर खतरा बताया।

जनविरोधी नीतियों के खिलाफ व्यापक आंदोलन का ऐलान

सीपीआई नेताओं ने दो टूक शब्दों में कहा कि केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ पार्टी चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने ऐलान किया कि इन सभी मुद्दों को लेकर जिला स्तर से लेकर राज्य और केंद्र स्तर तक व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा।आने वाले दिनों में जनसभाएं, धरना-प्रदर्शन और जागरूकता अभियान के माध्यम से आम जनता को संगठित कर सरकार की नीतियों का विरोध किया जाएगा।बैठक के अंत में पार्टी नेताओं ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे गाँव-गाँव और बस्ती-बस्ती जाकर मजदूरों, किसानों और आम लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करें और इस संघर्ष को मजबूत बनाएं।

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