
जमशेदपुर। लौहनगरी के बिष्टुपुर थाना अंतर्गत साईं मंदिर के पास शनिवार को ट्रैफिक जांच के दौरान भारी हंगामा हो गया। आरोप है कि पुलिस कर्मियों द्वारा स्कूटी को जबरन रोकने की कोशिश में एक दंपति दुर्घटना का शिकार हो गया, जिससे स्कूटी सवार महिला को गंभीर चोटें आई हैं। इस घटना के बाद मौके पर मौजूद राहगीरों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने पुलिस के ‘अमानवीय’ व्यवहार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
क्या है पूरी घटना?
मिली जानकारी के अनुसार, आदित्यपुर निवासी एक दंपति अपनी स्कूटी से सोनारी की ओर जा रहे थे। जैसे ही वे बिष्टुपुर साईं मंदिर के समीप पहुंचे, वहां तैनात ट्रैफिक पुलिस कर्मियों ने उन्हें रुकने का इशारा किया। स्कूटी चालक ने हेलमेट नहीं पहना था।दंपति और प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने स्कूटी को रोकने के लिए अचानक धक्का दिया, जिससे चालक संतुलन खो बैठा। स्कूटी अनियंत्रित होकर सड़क पर जा गिरी, जिसमें पीछे बैठी महिला को सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं। घायल महिला को तुरंत स्थानीय लोगों की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
सड़क पर हंगामा और पुलिस के खिलाफ आक्रोश
घटना के तुरंत बाद वहां भारी भीड़ जमा हो गई। लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जुर्माना वसूलने के नाम पर लोगों की जान जोखिम में डालना सरासर गलत है। आक्रोशित लोगों ने मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों को घेर लिया और हंगामे की स्थिति पैदा हो गई। राहगीरों का कहना था कि बिना हेलमेट के चालान काटना सही है, लेकिन चलती गाड़ी को धक्का देना किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं है।
ट्रैफिक प्रभारी का आश्वासन
मामले की गंभीरता और बढ़ते तनाव को देखते हुए बिष्टुपुर ट्रैफिक प्रभारी तुरंत दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने आक्रोशित लोगों को शांत कराया और मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया। ट्रैफिक प्रभारी ने कहा किपूरे मामले की तहकीकात की जा रही है। अगर जांच में किसी भी पुलिस कर्मी का व्यवहार अमानवीय पाया जाता है या धक्का देने की बात सच साबित होती है, तो संबंधित कर्मी के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
सुरक्षा बनाम संवेदनहीनता
जमशेदपुर में अक्सर ट्रैफिक जांच के दौरान पुलिस और आम जनता के बीच झड़प की खबरें आती रहती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस को आधुनिक तकनीकों (जैसे सीसीटीवी या इंटरसेप्टर) का उपयोग करना चाहिए, न कि चलती गाड़ियों को पकड़ने के लिए शारीरिक बल का प्रयोग। इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
