
जमशेदपुर: युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन और आईआईटी (आईएसएम) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर गहरा मंथन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधायक सह ‘दामोदर बचाओ आंदोलन’ के प्रणेता सरयू राय ने औद्योगिक प्रदूषण, अवैध बालू खनन और प्रशासनिक शिथिलता पर तीखा प्रहार किया।
दामोदर नदी: 2026 में होगा हाई-टेक सर्वे
सरयू राय ने घोषणा की कि फरवरी 2026 में दामोदर नदी की वर्तमान स्थिति का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा। इस विशेष अध्ययन में जर्मनी के विख्यात पर्यावरणविद ‘हस्को’ भी अपनी टीम के साथ शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि दामोदर को गंदा करने से बचना होगा, क्योंकि मानसून में नदी खुद को साफ करने की क्षमता रखती है, बशर्ते हम उसमें कचरा डालना बंद करें।
“कानून बहुत हैं, लेकिन नीयत साफ नहीं”
मुख्यमंत्री और पिछली सरकारों पर कटाक्ष करते हुए सरयू राय ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जितने कड़े कानून बन सकते थे, बन चुके हैं। समस्या कानून की नहीं, बल्कि उनके उल्लंघन की मानसिकता की है। उन्होंने कहा प्रदूषण मापक यंत्रों का अभाव: झारखंड के किसी भी शहर में मानकों के अनुरूप प्रदूषण मापने की मशीनें काम नहीं कर रही हैं। धनबाद की मशीन भी बंद पड़ी है।शक्तिशाली लोगों का एक ऐसा समूह बन गया है जो नियमों को ताक पर रखकर काम करता है। कोई एक्शन नहीं होता क्योंकि सब एक-दूसरे की वाहवाही में लगे हैं।
केंदुआडीह और दुमका की दुर्दशा पर सवाल
राय ने केंदुआडीह (धनबाद) की घटना का उदाहरण देते हुए बीसीसीएल और प्रशासन को घेरा। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते नाइट्रोजन गैस डाली जाती तो धरती फाड़कर गैस नहीं निकलती। वहीं, उप-राजधानी दुमका के बीचों-बीच कूड़े के अंबार और उसमें लगती आग को उन्होंने नगर निकाय की बड़ी विफलता बताया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आज सरकार को जागरूक करना भी खतरनाक है, क्योंकि धारा 353 (सरकारी काम में बाधा) के तहत तुरंत केस दर्ज कर दिया जाता है।
विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
संगोष्ठी में कई विशेषज्ञों ने भविष्य की चुनौतियों पर अपनी बात रखी:
अंशुल शरण (अध्यक्ष, युगांतर भारती) ने बताया कि 45 स्थानों पर दामोदर महोत्सव और स्वर्णरेखा महोत्सव का सफल आयोजन हुआ। अब दामोदर का पानी फिर से उपयोग के लायक हो रहा है, जो बड़ी उपलब्धि है।
डॉ. गोपाल शर्मा ने सवाल उठाया कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट वैज्ञानिक ढंग से निचले स्तर के बजाय ऊंचे स्थानों पर क्यों लगाए जा रहे हैं?
संजय रंजन सिंह ने कहा ऊर्जा के नए विकल्पों जैसे हाइड्रोजन और न्यूक्लियर एनर्जी पर ध्यान केंद्रित करने की वकालत की।
प्रो. अंशुमाली (IIT-ISM) ने चेतावनी दी कि छोटी नदियां मर रही हैं, जो सीधे तौर पर इंसानियत के अस्तित्व पर खतरा है।
बालू का अवैध कारोबार और पर्यावरण पर प्रहार
सरयू राय ने कहा कि सत्तातंत्र की नाक के नीचे बरसात से लेकर अब तक अवैध बालू की निकासी जारी है। यह सीधे तौर पर पर्यावरण पर प्रहार है, लेकिन शासन मौन है।
इनकी रही मुख्य उपस्थिति
कार्यक्रम में रामानुज शेखर, धर्मेंद्र तिवारी, सुरेंद्र सिन्हा, डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. दीपक सिंह, प्रवीण सिंह, अशोक गोयल सहित दामोदर और स्वर्णरेखा आंदोलनों से जुड़े दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन अशोक गोयल और मंच संचालन अमित सिंह ने किया।
