जमशेदपुर: 29 दिसंबर को शहर में रहेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, ओलचिकी लिपि के 100 वर्ष पूरे होने पर जहरास्थान में आयोजित होगा भव्य समारोह

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जमशेदपुर: लौहनगरी जमशेदपुर 29 दिसंबर को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भव्य स्वागत के लिए तैयार है। महामहिम राष्ट्रपति परसुडीह के करनडीह स्थित जहरास्थान में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी। यह अवसर विशेष इसलिए भी है क्योंकि इस वर्ष ओलचिकी लिपि के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जिसे आदिवासी समाज बड़े उत्सव के रूप में मना रहा है।

आदिवासी रीति-रिवाज से होगा भव्य स्वागत

जहरास्थान में राष्ट्रपति के आगमन पर उनका स्वागत पोटका के विधायक संजीव सरदार के नेतृत्व में पूरी तरह आदिवासी पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ किया जाएगा। मांदर और धमसे की थाप के साथ महामहिम का अभिनंदन समाज के गौरव को दर्शाएगा।

कार्यक्रम का विस्तृत शेड्यूल: पूजा से लेकर सम्मान समारोह तक

परसुडीह स्थित जहरास्थान के आदिवासी समाज ने आज एक प्रेस वार्ता का आयोजन कर कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा साझा की। समाज के अध्यक्ष रविंद्र नाथ मुर्मू ने बताया कि राष्ट्रपति का एक घंटे का कार्यक्रम कुछ इस प्रकार होगा ।राष्ट्रपति सबसे पहले जहरास्थान में विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।पूजा के पश्चात 10 मिनट का एक संक्षिप्त ब्रेक (विश्राम) रखा गया है।जैसे ही महामहिम मंच पर पहुंचेंगी, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा राष्ट्रगान गाया जाएगा।राष्ट्रपति और अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की जाएगी। इस ऐतिहासिक अवसर पर समाज के 100 विशिष्ट लोगों को सम्मानित किया जाएगा।

जमशेदपुर के बाद एनआईटी आदित्यपुर का दौरा

जहरास्थान में एक घंटे के व्यस्त कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति का काफिला सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर स्थित एनआईटी के लिए रवाना होगा। वहां वे एनआईटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी और छात्र-छात्राओं को डिग्री व मेडल प्रदान कर उन्हें संबोधित करेंगी।

प्रशासनिक मुस्तैदी और समाज में उत्साह

राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए जिला प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। वहीं, आदिवासी समाज में अपनी ‘बेटी’ और देश की राष्ट्रपति के आगमन को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। प्रेस वार्ता में समाज के प्रतिनिधियों ने बताया कि ओलचिकी लिपि के शताब्दी वर्ष को यादगार बनाने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

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